भारत को ओलंपिक में दो पदक दिलाने वाले मशहूर पहलवान सुशील कुमार ने पेशेवर कुश्ती लीग के पहले संस्करण को कामयाब बताया और कहा कि इससे नए आने वाले पहलवानों को बेहतर मौके मिलेंगे। इस पेशेवर लीग में सुशील कुमार को उत्तर प्रदेश की नुमाइंदगी करनी थी। उत्तर प्रदेश की टीम ने सुशील को नीलामी में अड़तीस लाख रुपए में खरीदा था। लेकिन सुशील कुमार ने लीग से अचानक हटने का फैसला कर लिया। उत्तर प्रदेश की टीम को जिस दिन अपना पहला मैच खेलना था सुशील कुमार ने अखाड़े में उतरने से मना कर दिया। इसकी वजह आयोजकों ने फिटनेस की सम्सया बताई थी।

सुशील के हटने से उत्तर प्रदेश की टीम का प्रदर्शन लीग में मायूस करने वाला रहा। पेशेवर लीग की चमक भी थोड़ी धुंधली पड़ी क्योंकि सुशील भारतीय कुश्ती में एक बड़ा नाम है। हालांकि उनके अचानक इस तरह हटने से कई तरह के सवाल खड़े किए जाते रहे। सुशील इन सवालों से बचते रहे और कुश्ती लीग के मुकाबले में भी वे नजर नहीं आए। इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगती रहीं। लेकिन रविवार को खेले गए फाइनल के दौरान सुशील अपने गुरु द्रोणाचार्य महाबली सतपाल के साथ आए। आयोजकों ने महाबली और सतपाल को पगड़ी पहना कर सम्मानित भी किया। सुशील हालांकि कुश्ती नहीं लड़ रहे थे लेकिन स्टेडियम में मौजूद लोगों ने उनका जोरदार तरीके से स्वागत कर इस भारतीय पहलवान की उपलब्धियों को सराहा।

सुशील ने बाद में ‘जनसत्ता’ से कहा कि लीग बेहद सफल रहा है। मेरा होना य न होना कोई माने नहीं रखता। महत्त्वपूर्ण यह है कि लीग को लोगों ने सराहा। नए और युवा पहलवानों को विश्व स्तरीय पहलवानों के खिलाफ लड़ने का मौका मिला और इससे उन्हें अपने को निखारने में मदद मिलेगी। कुश्ती लीग से हटने को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि जार्जिया में अभ्यास के दौरान कंधे में खिंचाव आगया था। मैं तो चाहता था कि लीग में मैं हिस्सा लूं लेकिन गुरुजी ने मना किया और बाद में कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह को बात बताई तो उन्होंने भी कहा कि लीग में हिस्सा लेना जरूरी नहीं है। सुशील का ध्यान फिलहाल ओलंपिक में पदक जीतने पर है। 2008 में सुशील ने कांस्य और 2012 में देश के लिए रजत पदक जीता था।

इस बात की चर्चा थी कि आप कम पैसे मिलने की वजह से लीग से हटे, सुशील ने कहा कि यह गलत बात है। इसमें किसी तरह की सच्चाई नहीं है। पैसा मेरे लिए कभी भी महत्त्वपूर्ण नहीं रहा है। मेरे लिए कुश्ती ज्यादा अहमियत रखता है न कि पैसा। इसलिए जो लोग भी यह बात कह रहे हैं वे मेरी फितरत को नहीं जानते। उन्हें इस तरह की बातों से बचना चाहिए। सुशील ने आयोजको से भी किसी तरह के टकराव से इनका किया। यह पूछने पर कि ऐसी भी चर्चा है कि आयोजकों में से किसी ने आपके साथ ठीक बर्ताव नहीं किया, सुशील ने कहा कि यह सब महज अफवाह है। हर कोई अपने तरीके से बात कर रहा है। लेकिन इनमें किसी तरह की सच्चाई नहीं है। मैं फेडरेशन के साथ लगातार संपर्क में हूं और उन्हें मैंने सारी बात बता दी थी।

सुशील का फोकस अभी ओलंपिक पर है। उन्हें 74 किलोग्राम वर्ग में इस बार अखाड़े में उतरना है। भारत को अभी कुश्ती के इसी भार वर्ग में ओलंपिक का टिकट मिला है। भारतीय पहलवान नरसिंह पंचम यादव ने सुशील की गैरमौजूदगी में विश्व चैंपियनशिप में पदक जीत कर भारत के लिए कोटा हासिल किया था। सुशील ने कहा कि मेरा ध्यान अभी पूरी तरह ओलंपिक पर है। इसलिए उसकी तैयारी में जुटा हूं। फिटनेस की थोड़ी समस्या जरूर थी, इससे मैं जल्द ही उबर जाऊंगा।