Suryakumar Yadav Success Story: भारत के 360 डिग्री खिलाड़ी सूर्यकुमार यादव के कोच विनायक माने का कहना है कि आप भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि सूर्यकुमार यादव टेस्ट क्रिकेट में सफल होगा या नहीं। उन्होंने कहा कि अगर मौका मिला तो यह सूर्यकुमार यादव पूरा प्रयास करेगा। सूर्यकुमार ने भारतीय क्रिकेट में कम समय में काफी सफलता हासिल की है। उनके कुछ शॉट ऐसे होते हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
इंटरनेशनल क्रिकेट में सूर्या ने जमाई धाक
सूर्यकुमार 32 साल की उम्र में दुनिया के नंबर एक टी20 अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाज बने हैं और यह सफर उन्होंने काफी तेजी से तय किया। सूर्यकुमार के परिवार के अलावा जिन दो लोगों ने उनमें आए बदलाव को करीब से देखा है वह मुंबई के पूर्व सलामी बल्लेबाज और कोच विनायक माने और राज्य की टीम में लंबे समय से उनके साथी तथा बचपन के मित्र सूफियान शेख हैं।
विनायक माने ने सूर्यकुमार यादव को सबसे पहले 18 बरस की उम्र में देखा जब उन्हें मुंबई का प्रतिभावान अंडर-19 क्रिकेटर होने के लिए भारत पेट्रोलियम से 2009 में छात्रवृत्ति मिली। माने ने हालांकि सूर्यकुमार को उस समय करीब से पहचाना जब यह क्रिकेटर पारसी जिमखाना से जुड़ा, जहां के प्रमुख खोदादाद एस याजदेगाडी ने भी उनकी काफी मदद की।
सूर्या के पास हमेशा से चारों दिशाओं में खेलने की है काबिलियत (Surya has always had the ability to play shots in all four directions)
प्रथम श्रेणी के 54 मैच खेलने वाले माने ने कहा, ‘‘सूर्या जब पारसी जिमखाना आया तो मैं थोड़ा बहुत क्रिकेट खेल रहा था और कोचिंग देना शुरू ही किया था। मुंबई क्रिकेट में उसके लिए असहज समय रहा था और वह अपनी छाप छोड़ने की कोशिश कर रहा था। उसके पास शॉट में विविधता हमेशा से थी और उसे जिसने भी देखा उसे पता था कि वह भारत के लिए खेलेगा।’’
तो सूर्यकुमार ने ऑस्ट्रेलिया के हालात के लिए कैसे तैयारी की? माने ने कहा, ‘‘इसका श्रेय खोदादाद को जाना चाहिए जिन्हें सूर्या काफी पसंद है। पारसी जिमखाना मैदान में हमने विशेष रूप से उसके लिए काफी घास वाला कड़ा विकेट तैयार किया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे शिष्यों में से एक, जो मुंबई अंडर-23 खिलाड़ी है, ओम केशकमत ने बाएं हाथ से रोबो-आर्म के साथ थ्रो-डाउन देने का काम किया। मेरे पास भी हर तरह के गेंदबाज थे जो उसे अच्छा अभ्यास दे रहे थे।’’ सूर्यकुमार 20 मिनट बल्लेबाजी करने के बाद निर्धारित लक्ष्य के साथ ट्रेनिंग करते हैं।
बल्लेबाजी के दौरान निर्धारित करते थे लक्ष्य (Used to set targets during batting)
माने ने कहा, ‘‘जहां लक्ष्य दो ओवर में 28 रन जैसा होगा वहां लक्ष्य का पीछा करना अलग होगा और अगर पहले बल्लेबाजी करते हैं तो पावरप्ले के चार से छह ओवर में 30 रन बनाने होते हैं। वह अकसर कहता था कि मेरे लिए क्षेत्ररक्षण सजाओ और मुझे लक्ष्य दो, अगर मैं आउट हो गया तो आउट होकर चला जाऊंगा, वह हमेशा मैच के नजरिए से खेलता था।’’ क्रिकेट प्रेमी उनके विकेट के पीछे स्ट्रोक और डीप फाइन लेग पर पिक-अप शॉट्स से मोहित हैं लेकिन माने ने उन्हें हमेशा इन शॉट्स को खेलते हुए देखा है।
सुफियान शेख ने बताई सुर्या की रणनीति (Sufiyan Sheikh told Surya’s strategy)
मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी और 2010 में न्यूजीलैंड में अंडर-19 विश्व कप खेलने वाले शेख ने भी एक तकनीकी पहलू पर प्रकाश डाला। शेख ने कहा, ‘‘लोग गेंद से शरीर से दूर करना पसंद करते हैं ताकि वे अपने हाथ खोल सकें। सूर्या इसके विपरीत है। वह कम से कम जगह मिलने पर भी शॉट खेलता है। वह स्टंप के पीछे अविश्वसनीय शॉट खेलता है और वह दृढ़ संकल्प होता है कि गेंदबाजों को अपने शरीर पर गेंदबाजी के लिए मजबूर करे।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘सबसे खराब स्थिति में यह होगा कि गेंद उसे लगेगी और वह चोट उसे याद दिलाएगी कि उसे और तेज होने की जरूरत है।’’ सूर्यकुमार का दिमाग कैसे काम करता है इसे लेकर उन्होंने एक और बात बताई। शेख ने कहा, ‘‘जाहिर है बहुत उछाल वाली ठोस पिचों पर वह जांघ में पैड पहनता था लेकिन अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टी20 अंतरराष्ट्रीय पदार्पण पर उसने जांघ में पैड नहीं पहना था। भारतीय पिचों पर वह वजन कम करने के लिए कई बार ऐसा करता है और जिससे उसे दो और तीन रन तेजी से भागने में मदद मिलती है।