Express Adda: भारतीय टी20 क्रिकेट टीम के कप्तान सूर्यकुमार यादव ने द इंडियन एक्सप्रेस के खास कार्यक्रम एक्सप्रेस अड्डा में हिस्सा लिया और इस दौरान द इंडियन एक्सप्रेस समूह के कार्यकारी निदेशक अनंत गोयनका और डिप्टी एसोसिएट एडिटर देवेंद्र पांडे से खास बातचीत के दौरान अपनी जिंदगी और क्रिकेट के सफर को लेकर कई बातें की।
डर आपको प्रेरित करता है
सूर्यकुमार से पूछा गया कि शुभमन गिल पहले टेस्ट और अब वनडे कप्तान बने तो क्या इसके बाद उन्हें इस बात का डर है कि कहीं उनकी टी20 कप्तानी ना चली जाए। इसका जबाव देते हुए उन्होंने कहा कि मैं झूठ नहीं बोलूंगा हर किसी को यह डर लगता है, लेकिन यह एक ऐसा डर है जो आपको प्रेरित करता है। उनके (शुभमन गिल) और मेरे बीच मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह कमाल का तालमेल है। मैं जानता हूं कि वो किस तरह के खिलाड़ी और इंसान हैं। इसलिए यह मुझे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है।
सूर्यकुमार ने आगे कहा कि अगर मैं इतना डरा हुआ होता, तो मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहली गेंद भी उस तरह नहीं खेल पाता जैसा मैंने खेला। इसलिए मैंने उस डर को बहुत पहले ही पीछे छोड़ दिया है। मुझे लगता है कि अगर मैं खुद पर कड़ी मेहनत कर रहा हूं, खुद के प्रति ईमानदार रह रहा हूं तो बाकी सब ठीक हो जाएगा, लेकिन मैं उनके लिए बहुत खुश हूं कि वह दो प्रारूपों में कप्तान बन गए हैं। उन्होंने वाकई बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।
उम्र सिर्फ एक नंबर है
सूर्यकुमार ने अपनी उम्र के बारे में बात करते हुए कहा कि हर क्रिकेटर को 30 साल की उम्र के बाद खुद का खास ख्याल रखने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि मेरे हिसाब से उम्र सिर्फ एक संख्या है। अगर आप रन बना रहे हैं और अपनी टीम की हर जरूरत पूरी कर रहे हैं तो यह सिर्फ एक संख्या है। मैं हाल ही में जेम्स एंडरसन के बारे में पढ़ रहा था और उनकी उम्र अब 40 के आसपास है और उन्होंने हाल ही में लंकाशायर के साथ अपना अनुबंध रिन्यू किया है। इसलिए मुझे लगता है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। अगर आप अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो यह हमारे हाथ में है कि आप कब तक खेलना चाहते हैं।
गंभीर से है भाई जैसा रिश्ता
गंभीर से अपने रिश्ते के बारे में बात करते हुए सूर्यकुमार यादव नेक कहा कि हमारा रिश्ता बड़े और छोटे भाई जैसा है। मैंने केकेआर में उनके अंडर चार साल खेला। वहां उनसे बहुत कुछ सीखा और अब भी वह कोच हैं और मैं टी20 टीम का कप्तान। इसलिए जब हम अक्सर टीम पर चर्चा करते हैं तो ऐसा होता है कि वह प्लेइंग इलेवन चुनते हैं और मैं भी प्लेइंग इलेवन ही चुनता हूं और दोनों में कोई अंतर नहीं होता। मैदान पर भी अगर मुझे कोई फैसला लेना होता है तो मैं डगआउट की तरफ देखता हूं। बाहर से देखने पर आप चीजों को अलग तरह से देखते हैं और वह बस अपना सिर थोड़ा सा हिलाते हैं और मुझे समझ आ जाता है। यही हमारे बीच का विश्वास है। टचवुड सब कुछ वाकई बहुत अच्छा चल रहा है।