पूरा देश जहां रविवार के दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन का शोक मना रहा था उसी बीच भारत के पूर्व क्रिकेटर रहे सुरेश रैना के पिता का भी निधन हो गया। रैना के पिता त्रिलोकचंद रैना ने कैंसर के खिलाफ लंबी लड़ाई के बाद जंग हारी। वह भारतीय सेना की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में कार्यरत थे और बम बनाने के स्पेशलिस्ट थे।
रिपोर्ट्स की मानें तो सुरेश रैना के पिता लंबे समय से कैंसर के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। लंबी लड़ाई के बाद 6 फरवरी 2022 को उन्हें जंग हारी और दुनिया को अलविदा कहे दिया। इन दिनों रैना अपने गाजियाबाद स्थित घर पर ही थे और पिता की सेवा कर रहे थे। रविवार को भी उन्होंने स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त किया था।
उनके इस ट्वीट के कुछ घंटों बाद ही उनके ऊपर भी दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। टीम इंडिया के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह ने अपने साथी क्रिकेटर के पिता के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा कि, ‘सुरेश रैना के पिता के बारे में सुनकर दुख हुआ। आपकी आत्मा को शांति मिले अंकल जी।’
भारतीय सेना में थे बम बनाने के स्पेशलिस्ट
सुरेश रैना का परिवार मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के रैनावारी गांव का रहने वाला है, लेकिन 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद सुरेश रैना के दादा जी ने गांव छोड़ दिया था। उस वक्त वह गाजियाबाद के मुरादनगर में आकर बस गए थे। रैना के पिता आर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करते थे और वह बम बनाने के विशेषज्ञ थे।
10 हजार के वेतन में भी रैना को बनाया क्रिकेटर
त्रिलोक चंद रैना काफी परिश्रमी व्यक्ति थे और उस वक्त उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपए वेतन मिलता था। कम वेतन के बाद भी उन्होंने बच्चों को अच्छी परिवरिश दी। उनके पास सुरेश रैना को महंगी क्रिकेट अकादमी में भेजने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। उन्होंने बेटे का दाखिला 1998 में लखनऊ के गुरु गोबिंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में करवाया। इसके बाद रैना ने मुड़कर नहीं देखा और आज उन्हें हर कोई जानता है।
सुरेश रैना ने 2020 में एमएस धोनी के साथ ही इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहे दिया था। वह 2011 में भी वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। आईपीएल 2022 के लिए चेन्नई सुपर किंग्स ने उन्हें रिलीज कर दिया है। वह 12 और 13 फरवरी को आगामी मेगा ऑक्शन में शामिल होंगे। उन्होंने अपने करियर में 768 टेस्ट, 5615 वनडे और 1604 टी20 रन बनाए हैं।