सुनील गावस्कर ने खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर भारतीय क्रिकेट के जुनून की आलोचना की और दावा किया कि सरफराज खान जैसे खिलाड़ी अक्सर इसका शिकार होते हैं। घरेलू सर्किट में मुंबई के लिए जमकर रन बनाने के बावजूद सरफराज को हमेशा भारतीय टेस्ट टीम के चयन के मामले में नजरअंदाज किया जाता था। हालांकि सरफराज का इंतजार साल 2024 की शुरुआत में खत्म हो गया था जब उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में खेलने का मौका मिला और उसके बाद उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया।

सरफराज का प्रदर्शन उनकी कमर से ज्यादा शानदार

26 साल के सरफराज खान ने बेंगलुरू टेस्ट में भारत के लिए दूसरी पारी में शानदार 150 रन बनाए और पहले टेस्ट में टीम की वापसी की उम्मीद जगाई थी। स्पोर्टस्टार के लिए अपने कॉलम में लिखते हुए गावस्कर ने दावा किया कि सरफराज को पहले टीम में जगह नहीं मिली क्योंकि चयनकर्ताओं के अनुसार उनकी कमर पतली नहीं थी। गावस्कर ने दावा किया कि सरफराज ने बल्ले से जिस तरह प्रदर्शन किया वो उनकी कमर से भी ज्यादा शानदार थी और दिखा दिया कि चयनकर्ताओं ने फिटनेस को लेकर उनके बारे में जो राय बना रखी थी वो सही नहीं थी।

गावस्कर ने कहा कि घरेलू क्रिकेट में सैकड़ों रन बनाने के बावजूद सरफराज खान को पिछले कुछ सालों से भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पा रही थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिनको खिलाड़ियों का चयन करना था उनका मानना ​​था कि उनकी कमर उतनी पतली नहीं है जितनी कि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए जरूरी मानते हैं। बल्ले से मैदान पर सरफराज की वापसी उनकी कमर से भी ज्यादा शानदार थी। दुख की बात है कि भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे निर्णयकर्ता हैं जिनके विचार समझ से परे हैं।

पंत की कमर नहीं है पतली, लेकिन वो टीम के लिए हैं अहम

गावस्कर का कहना है कि ऋषभ पंत की कमर पतली नहीं है, लेकिन उन्होंने टीम के लिए किस तरह का प्रदर्शन किया है वो अपने आप में कमाल है। गावस्कर ने यो-यो टेस्ट खत्म करने की मांग की और कहा कि खिलाड़ियों का मानसिक रूप से मूल्यांकन किया जाए। उन्होंने कहा कि ऋषभ पंत एक और खिलाड़ी हैं, जिनकी कमर पतली नहीं है, लेकिन वो प्रभावशाली खिलाड़ी हैं।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे पूरे दिन विकेटकीपिंग भी करते हैं, जिसके लिए न केवल लगभग छह घंटे तक उठना-बैठना पड़ता है, बल्कि थ्रो को पकड़ने के लिए स्टंप तक दौड़ना भी पड़ता है। इसलिए कृपया इस योयो-योयो टेस्ट को खत्म करें और इसके बजाय यह आकलन करें कि कोई खिलाड़ी मानसिक रूप से कितना मजबूत है। अगर कोई खिलाड़ी पूरे दिन बल्लेबाजी कर सकता है या एक दिन में 20 ओवर गेंदबाजी कर सकता है, तो वह मैच के लिए फिट है, भले ही उसकी कमर कितनी भी पतली हो या न हो।