लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने द इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज में टेस्ट क्रिकेट के भविष्य और वेस्टइंडीज क्रिकेट के मुश्किल दौर को लेकर बात की। टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि आने वाले समय हो सकता है कुछ देश केवल व्हाइट बॉल क्रिकेट खेलें। हो सकता है रेड बॉल क्रिकेट कुछ देशों तक सीमित हो जाए। कोई टीम केवल विदेश में ही टेस्ट सीरीज खेले।

गावस्कर के दिनों में कैरेबियाई टीम की वर्ल्ड क्रिकेट में धाक थी। पहले दो वर्ल्ड कप में टीम कोई मैच ही नहीं हारी थी। 1983 में भी वह फाइनल खेली। भारत चैंपियन बना था और दो बार कैरेबियाई टीम को हराया। कपिल देव की अगुआई वाली उस टीम का सुनील गावस्कर भी हिस्सा थे। आज उस कैरेबियाई टीम की हालत यह है कि वह अक्टूबर नवंबर में भारत में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप में नहीं दिखेगी। जिम्बाब्वे में क्वालिफायर में नीदरलैंड और स्कॉटलैंड जैसी टीमों से हार गई। लिटिल मास्टर ने कहा कि मैच फीस बढ़ाकर और प्रदर्शन के आधार पर भुगतान करने से हालात सुधर सकते हैं।

टेस्ट क्रिकेट 4-5 टीमों तक सीमित रह जाएगा?

सुनील गावस्कर से सवाल किया गया कि क्या टी20 लीग के तेजी से बढ़ने के कारण टेस्ट क्रिकेट 4-5 टीमों तक सीमित रह जाएगा? इस सवाल का जवाब देते हुए गावस्कर ने कहा, “ऐसा होने की प्रबल संभावना है। भविष्य में, न्यूजीलैंड जैसी टीम विदेशों में टेस्ट क्रिकेट खेल सकती है, लेकिन घरेलू मैदान पर उतना नहीं खेल पाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें क्राउड से सपोर्ट नहीं मिलेगा। लोग मैच नहीं देखेंगे। वर्तमान में 12 टीमें टेस्ट क्रिकेट खेल रही हैं, लेकिन मेरा मानना है कि आगे चलकर अफगानिस्तान, आयरलैंड और जिम्बाब्वे केवल व्हाइट क्रिकेट खेलने में रुचि ले सकते हैं।”

वेस्टइंडीज क्रिकेट के लेकर सुनील गावस्कर क्या बोले

वेस्टइंडीज क्रिकेट के लेकर सुनील गावस्कर से सवाल किया गया कि कैरेबियाई टीम के वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई न कर पाने पर आपकी क्या राय है? टीम संकट से कैसे उबर सकती है? इसका जवाब देते हुए गावस्कर ने कहा, “यह वह जगह है जहां मैं अपने पहले दौरे पर गया था और मैं वहां बहुत से लोगों को जानता हूं। मैं उनके क्रिकेट के विरासत से वाकिफ हूं। वहां का स्वभाव काफी आराम पसंद है, जो शानदार है लेकिन जब खेलने की बात आती है तो इस स्वभाव से कभी कभी आपको परिणाम नहीं मिलता।”

प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जाना चाहिए

गावस्कर ने आगे कहा, “क्लाइव लॉयड, मैल्कम मार्शल, विव रिचर्ड्स, एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग्स, जोएल गार्नर जब खेलेत थे तो वह वेस्टइंडीज टेस्ट क्रिकेट का अद्भुत युग था। हर टेस्ट मैच से उनकी अतिरिक्त कमाई होती थी। आज टेस्ट हो या टी20 दुनियाभर में खिलाड़ियों को केंद्रीय अनुबंध की गारंटी मिलती है। वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों का स्वभाव ऐसा है कि अगर उनके बैंक में पैसा है तो उनके लिए रन या विकेट मायने नहीं रखता है। मेरा सुझाव यह होगा कि टेस्ट मैच फीस बढ़ा दी जाए, लेकिन उन्हें केंद्रीय अनुबंध न दिया जाए। आपको आपके प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जाना चाहिए । तब शायद उनका रवैया अलग होगा।”