जसप्रीत बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट चर्चा का विषय बन गया है। इस तेज गेंदबाज को इंग्लैंड में भारत के पांच में से केवल तीन टेस्ट मैच में खेलने के लिए पूर्व खिलाड़ियों और प्रशंसकों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि भारत ने श्रृंखला में केवल दो मैच जीते हैं, जिनमें यह तेज गेंदबाज बाहर बैठा था।
पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने अब कहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को इस साल टीम के बाकी बचे टेस्ट मुकाबलों में जसप्रीत बुमराह को फिट रखने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि टीम इंडिया विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल के लिए क्वालिफाई कर सके।
सुनील गावस्कर ने मिड-डे में अपने कॉलम में लिखा कि भारत इस साल सिर्फ चार और टेस्ट मैच खेलेगा, जिसमें एशिया कप ही एकमात्र ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें टीम इंडिया कुछ सफेद गेंद वाले कुछ बड़े मैच खेलेगी। इसके अलावा, भारत को ऑस्ट्रेलिया के सीमित ओवरों के दौरे पर भी जाना है और दक्षिण अफ्रीका तथा न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सफेद गेंद वाले मुकाबलों की मेजबानी करनी है।
‘भारतीय क्रिकेट का अपना तर्क’
सुनील गावस्कर ने अपने कॉलम में लिखा, ‘क्या ज्यादा जरूरी है? विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करना या कुछ द्विपक्षीय सफेद गेंद वाले मैच खेलना जिनका कोई लेना-देना नहीं है। अगर भारत को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करना है, तो जसप्रीत बुमराह को अक्टूबर की शुरुआत और नवंबर के अंत के बीच भारत की ओर से तय 4 टेस्ट मैच में खेलना होगा।’
उन्होंने लिखा, ‘वेस्टइंडीज़ और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इन टेस्ट मैच के बीच एक महीने का अंतर है। इसका मतलब है कि उन्हें सफेद गेंद वाली सीरीज के लिए आराम दिया जाना चाहिए। यही दलील होनी चाहिए, लेकिन भारतीय क्रिकेट का अपना तर्क है जैसा कि हाल ही में समाप्त हुई सीरीज में देखा गया।’
‘बुमराह ने बताया था, केवल 3 टेस्ट मैच खेलेंगे’
गावस्कर ने कहा कि इंग्लैंड दौरे के आखिरी टेस्ट के लिए जसप्रीत बुमराह को बाहर रखना, भारत का एक फैसला था, जिससे व्यक्तिगत और टीम के बीच की रेखा धुंधली हो गई। उन्होंने कहा, ‘हाल ही में इंग्लैंड में समाप्त हुई सीरीज में उनके खेलने को लेकर पहले ही काफी बहस हो चुकी है। सच कहें तो, उन्होंने चयन समिति को सूचित किया था कि वह 5 में से केवल 3 टेस्ट मैच ही खेल पाएंगे। इस बहस ने कुछ गर्माहट पैदा की है कि क्या उन्हें आखिरी ‘करो या मरो’ टेस्ट मैच खेलना चाहिए था, खासकर तब जब ओवल की पिच पर लंबे समय के बाद सबसे ज्यादा घास थी।’
सुनील गावस्कर ने कहा, ‘अगला टेस्ट मैच अक्टूबर की शुरुआत में है और इसलिए उसके पास आराम करने और समय पर ठीक होने के लिए दो महीने का समय था। भारतीय टीम प्रबंधन ने कहा कि उन्हें उनके भविष्य को ध्यान में रखकर नहीं चुना गया था। यहीं पर व्यक्तिगत और भारतीय क्रिकेट के बीच की रेखाएं थोड़ी धुंधली हो गईं।’