उन्नीस साल से सुनील छेत्री और भारतीय फुटबाल अटूट रूप से जुड़े हुए हैं। 2005 में 20 साल की उम्र में छेत्री ने पदार्पण किया था। इतने साल बाद सवाल उठ रहा है कि छेत्री आखिर कब तक भारतीय फुटबाल में सेवाएं देते रहेंगे। निश्चित ही 19 साल एक लंबा वक्त होता है और भारतीय दिग्गज अपने करिअर की समाप्ति की तरफ बढ़ रहे हैं। यह सवाल अनिवार्य रूप से उठता है – प्रशिक्षक इगोर स्टिमैक और सुनील छेत्री के नेतृत्व में भारत के लिए आगे क्या?
एएफसी एशियाई कप से छेत्री की विदाई मानी जा रही थी, लेकिन भारत के इस दिग्गज खिलाड़ी ने पहले ही इस टूर्नामेंट में खेलने का अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है। शायद भारत के संभावित ग्रुप चरण से बाहर होने के बाद उन्हें विदाई देना भारत के महानतम आधुनिक फुटबालर को शोभा नहीं देता। शायद वे 100 गोल के आंकड़े तक पहुंचना चाहते हैं। यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जो वे अगले 11 मैचों में पूरा कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय फुटबाल में छेत्री का प्रति खेल गोल औसत 0.64 है। शायद भारत को फीफा विश्व कप क्वालीफायर के तीसरे दौर में पहली बार पहुंचाने की उपलब्धि एक बेहतर विदाई हो सकती है।
एशियाई कप से पहले एक साक्षात्कार में छेत्री ने कहा, फिलहाल, टीम को अभी भी मेरी जरूरत है। इस कथन पर विवाद करना कठिन है। भारत ने बेहद सफल 2023 में 21 गोल किए और छेत्री ने उनमे से 9 (43%) गोल किए। भले ही आप पिछले साल फारवर्ड नाओरेम महेश सिंह (3) लालियानजुआला चांगटे (3), मनवीर सिंह (1), उदंता सिंह (1) के सभी गोलों को एक साथ मिला दें तो भी यह छेत्री की संख्या को पीछे नहीं छोड़ पाते।
पिछले साल एक साक्षात्कार में , स्टिमैक ने छेत्री के साथ बने रहने के अपने इरादे को रेखांकित करते हुए कहा था, सवाल हमेशा यही है, छेत्री के बाद कौन? लेकिन मैंने इस तरह कभी नहीं सोचा… उनके शरीर के साथ, आंकड़े एकदम सही हैं – चाहे शरीर में वसा प्रतिशत हो या वजन। हमें छेत्री के संन्यास लेने के बारे में क्यों सोचना चाहिए?
दो दशकों से छेत्री की किस्मत राष्ट्रीय टीम की किस्मत का पर्याय रही है। आम आदमी के लिए, वे भारतीय फुटबाल हैं। वे इस एशियाई कप में सबसे उम्रदराज आउटफील्ड खिलाड़ी, सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले और दूसरे सबसे अधिक कैप (145) के खिलाड़ी के रूप में उतरे और उन्होंने प्रतियोगिता में भारत के एक चौथाई गोल किए हैं।
राष्ट्रीय टीम के संबंध में बंगलुरु एफसी के लिए उनका अपेक्षाकृत खराब फार्म हमेशा अप्रासंगिक रहा है। पिछले दो सीजÞन में, महेश (17) और चांग्ते (33) दोनों ने क्लब फुटबाल (16) में छेत्री की गोल भागीदारी को बेहतर बनाया है। फिर भी, जब छेत्री राष्ट्रीय टीम की नीली जर्सी और नारंगी कप्तान के आर्मबैंड से सजे होते हैं, तो वे एक अलग खिलाड़ी होते हैं।
बेंगलुरु एफसी के लिए कमजोर दिखने वाले लुप्त होते सुपरस्टार नहीं, बल्कि हर गेंद का पीछा करने और लाइन का नेतृत्व करने के लिए तैयार खिलाड़ी जैसे। उनका यह रूप वैसा ही है, जैसा कि 2005 में अपने पदार्पण पर दिखाया था। लियोनेल मेसी ने भी उसी वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया और यह छेत्री के लिए एक प्रमाण है कि उन्होंने 19 वर्षों में समान दर से गोल किए। वे पुरुष फुटबालरों की सूची में अब तक का चौथा सबसे बड़ा स्कोरर हैं। केवल क्रिस्टियानो रोनाल्डो, अली डेई और मेस्सी उनसे आगे हैं।