दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टैस्ट सीरीज में भारतीय स्पिनरों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे लेग स्पिनर अमित मिश्रा काफी खुश हैं लेकिन उन्हें इस बात का मलाल भी है कि सारी बहस पिच में ही उलझी रह गई। तीन दिन में टैस्ट क्यों खत्म हुआ, पिच खराब थी और ऐसी पिचें टैस्ट क्रिकेट के लिए बेहतर नहीं है, जैसी चर्चा तो होती रही। लेकिन भारतीय स्पिन गेंदबाजों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया और तीन टैस्ट में विश्व की नंबर एक टीम को पांच बार आउट किया, उस पर चर्चा कम हुई। इस बात पर तो और भी नहीं हुई कि दक्षिण अफ्रीका के पचास में से 47 विकटें स्पिन गेंदबाजों ने हासिल कीं।

मिश्रा का मानना है कि ऐसा करना हमारी क्षमता को कम कर आंकना है। हमने (रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेडा और मैं) सीरीज में अच्छी गेंदबाजी की और अपनी बेहतरीन गेंदबाजी की बदौलत दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों को आउट किया। चर्चा इस पर होनी चाहिए थी और हमें इसका श्रेय दिया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सारी बहस पिच के चरित्र को लेकर ही उलझ रही और हम 47 विकेट लेकर भी बहस के केंद्र में नहीं रहे। तीन टैस्ट में अश्विन ने 24, जडेजा ने सोलह और दो टैस्ट में मिश्रा ने सात विकेट हासिल किए हैं।

दिल्ली में गुरुवार से शुरू हो रहे चौथे और आखरी टैस्ट से पहले मिश्रा ने दिल के दर्द को पत्रकारों के सामने रखा। पिच के मिजाज को लेकर लगातार चर्चा होती रही यहां तक कि कई दिग्गज पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों ने भी पिच की आलोचना की। लेकिन हमने अच्छी गेंदबाजी की उसकी चर्चा हुई ही नहीं या फिर बहुत कम हुई। ऐसा नहीं है कि पहली बार इस तरह के पिच पर हम खेल रहे हैं। हमारे घरेलू हालाता लगातार ऐसी ही रहे हैं। हम इस तरह की पिचों पर लगातार गेंदबाजी करत आ रहे हैं। भारतीय पिचों की बात जाने दें, श्रीलंका में भी हमें इसी तरह की पिचें मिलीं और हमने वहां भी अच्छी गेंदबाजी की। सपाट पिचें बना दी जाती हैं तो उसकी भी आलोचना होती है। मिश्रा ने कहा कि अगर हम अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं तो इसकी तारीफ भी होनी चाहिए। हमारे प्रदर्शन को पिचों की भूल-भुलैंया में उलझा कर रख दिया गया। हमने सिर्फ इन पिचों की वजह से विकेट लिए हों, ऐसी बात नहीं है। हमने विदेशी दौरों पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है।

मिश्रा का कहना है कि स्पिन लेती गेंदों के खिलाफ दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज तकनीकी तौर पर खेलने में सक्षम नहीं दिखे और इसी वजह से हम उन्हें आउट करने में कामयाब रहे। यह टेंपरामेंट के साथ-साथ तकनीक का सवाल है। विदेशी टीमों को भारत में स्पिन खेलने में परेशानी होती है। दक्षिण अफ्रीकी टीम को भी हो रही है। वे भारत आए तो पूरी तरह से इस पर काम करके नहीं आए। फिर हमने अच्छी गेंदबाजी की है। हमने उन्हें कम गेंदें दी हैं, जिन पर उनके दिग्गज बल्लेबाजों ने चौका लगाया हो। मिश्रा ने कप्तान विराट कोहली के कसीदे भी पढ़े। उन्होंने कहा कि बिना कप्तान के समर्थन के वे इस तरह का प्रदर्शन नहीं कर सकते थे। उनकी सोच सकारात्मक है और समय-समय पर वे जरूरी सुझाव देते हैं। किसी भी गेंदबाज के बेहतर प्रदर्शन में कप्तान का भरोसा और सुझाव बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है।

मिश्रा ने पहले टैस्ट की दोनों पारियों में दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज एबी डिविलयर्स को बोल्ड कर टैस्ट पर भारत की गिरफ्त को मजबूत किया था। फिर तीसरे टैस्ट की दूसरी पारी में आमला को आउट किया था। आमला के आउट होते ही दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजी भरभरा गई थी। मिश्रा ने इंकशाफ किया कि उन्होंने कोहली को छोटा स्पैल देने के लिए कहा था। मिश्रा हालांकि इस बात से सहमत नहीं दिखे कि टीम प्रबंधन को उन पर कम भरोसा है, जिसकी वजह से उन्हें सबसे आखिर में गेंद थमाई जाती है। मिश्रा कहते हैं कि ऐसी बात नहीं है। विश्वास करने या न करने जैसी कोई बात नहीं है। ठीक है कि यहां मैं अश्विन और जडेजा के बाद गेंदबाजी के लिए आता हूं लेकिन श्रीलंका में तो मुझे पहले गेंद थमाई गई थी। उन्होंने कहा कि अश्विन और जडेजा का साथ पाकर ही वे सफल हो रहे हैं।