सौरव गांगुली की अगुआई में भारतीय क्रिकेट टीम ने 2002 में पहली बार नैटवेस्ट सीरीज जीती थी। उस सीरीज में राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका निभाई थी। विकेटकीपिंग के लिए वह गांगुली की रिक्वेस्ट पर तैयार हुए थे। दरअसल, गांगुली में सात बल्लेबाजों के साथ उतरना चाहते थे। द्रविड़ के विकेटकीपिंग करने के कारण ही भारतीय टीम सात बल्लेबाजों के साथ मैदान पर उतर पाई थी और 326 रन के टारगेट को हासिल करने में सफल रही थी।
उस मैच में भारतीय टीम 146 रन पर 5 विकेट गंवा चुकी थी। युवराज सिंह छठे और मोहम्मद कैफ 7वें नंबर पर उतरे थे। दोनों ने छठे विकेट के लिए 121 रन की साझेदारी की। कैफ 87 रन बनाकर अंत तक नाबाद रहे और टीम इंडिया के सिर जीत का सेहरा बांधा।
‘क्रिकेट डायरीज’ के एक शो में राहुल द्रविड़ और मोहम्मद कैफ दोनों मौजूद थे। तभी कैफ ने कहा कि मैं राहुल द्रविड़ साहब का बहुत शुक्रगुजार हूं, क्योंकि इन्होंने कीपिंग स्टार्ट की तभी मैं नंबर 7 पर खेल पाया। सामान्यतया नंबर 7 के लिए किसी ऑलराउंडर का चुनाव होता है, जो बैटिंग-बॉलिंग कर सके। उस नंबर पर बैट्समैन फिट नहीं होता। कैफ ने कहा, मैं द्रविड़ सर से पूछना चाहता हूं कि जब आपने कीपिंग की तो आपके और गांगुली के बीच क्या बात हुई थी।
कैफ ने पूछा कि क्या आप आराम से मान गए थे। इस पर राहुल द्रविड़ ने कहा, ‘मुझसे पूछा गया कि आप विकेटकीपिंग की कोशिश करोगे। इससे पहले जब मैंने विकेटकीपिंग की थी, तब मैं 15 साल का था। उसके बाद से मैंने ये करना छोड़ दिया था। मैंने कहा, 15 साल से नहीं किया है…। दादा ने कहा कि नहीं नहीं कर ले ना।’ द्रविड़ ने बताया कि वह विकेटकीपिंग में कभी भी बहुत अच्छे नहीं थे। जब मैं टीम इंडिया के लिए विकेटकीपिंग को राजी हुआ तो हमने जॉन राइट के एक दोस्त, जो विकेटकीपिंग कोच थे, उनकी मदद ली थी।
इस पर एंकर ने पूछा कि क्या उस नैटवेस्ट सीरीज के लिए जॉन राइट के मित्र हायर किए गए थे। इस पर द्रविड़ ने कहा, उस सीरीज के लिए, 2-3 सेशन मेरे लिए, क्योंकि एक बात थी कि आप हाथ से तो बॉल को पकड़ सकते हैं। आप जानते हैं कि मैं हाथ का अच्छा इस्तेमाल करता था, क्योंकि मैं स्लिप का फील्डर था। लेकिन मेरे पैरों की मूवमेंट अच्छी नहीं थी और कीपिंग में पैरों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है।


