पृथ्वी शॉ के नेतृत्व वाली टीम में 18 वर्षीय मुशीर के चुने जाने के बाद वह और उनके भाई सरफराज खान रणजी ट्रॉफी नॉकआउट में मुंबई टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे। सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन को बैंगलोर में खेले जाने वाले उत्तराखंड के खिलाफ मैच के लिए नहीं चुना गया है, जबकि अजिंक्य रहाणे को अपनी हैमस्ट्रिंग की चोट से जूझ रहे हैं।

ओपनर और बाएं हाथ के स्पिनर मुशीर ने अंडर-19 कूच बिहार ट्रॉफी में नौ मैचों में 67 की औसत से 670 रन बनाए थे, जिसमें दो शतक और पांच अर्द्धशतक शामिल थे। पिछले साल वह ए डिवीजन पुलिस शील्ड और माधव मंत्री एक दिवसीय टूर्नामेंट में मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे। सरफराज और मुशीर के पिता क्रिकेट कोच हैं। अपने बच्चों को पेशेवर क्रिकेटर बनाने का ख्याल उनके दिमाग में तब आया, जब उनको एक क्रिकेटर ने उन्हें ताना मारा था, जिसे उन्होंने कोचिंग दी थी। नौशाद ने एक बार यह वाक्या द इंडियन एक्सप्रेस के साथ शेयर की थी।

खिलाड़ी ने कहा था, “मेरे में कबीलियत थी, मैं खेला। तुम्हारे में टैलेंट है तो अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाकर दिखाओ ना।” अब नौशाद के दौनों बच्चे क्रिकेटर हैं। सरफराज आईपीएल 2022 में दिल्ली कैपिटल्स (DC) से खेलते दिखे। वहीं मुशीर का चयन रणजी टीम में हुआ है। सरफराज ने याद किया कि कैसे उन्होंने रणजी टूर्नामेंट के आखिरी चरण के दौरान टीम मैनेजर से अपने भाई के लिए पनामा कैप के लिए अनुरोध किया था।

सरफराज ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैंने मैनेजर से अपने भाई मुशीर के लिए मुंबई का एक एक्सट्रा कैप के लिए अनुरोध किया था। भगवान ने कृपा की है। यह उनकी (मुशीर) और मेरे पिता की कड़ी मेहनत है। हमें क्रिकेटर बनाने में बहुत कुर्बानी दी है।” राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी जोनल कैंप के लिए चुने जाने के बाद मुशीर वर्तमान में सूरत में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

मुशीर का कहना है कि उन्होंने वही किया जो उनके पिता ने कहते थे। उन्होंने कहा, “मेरे भाई सरफराज खान और मेरा एक ही सपना है – भारत के लिए खेलना और अपने पिता को खुश करना। इस खबर ने मुझे जरूर खुश किया है और मैं चयनकर्ताओं और एमसीए का शुक्रगुजार हूं। मुझे अभी लंबा सफर तय करना है और अभी बहुत कुछ करना बाकी है।”

नौशाद ने मुशीर के क्रिकेटर बनने के सफर के बारे में बताते हुए कहा, “यह सब तब शुरू हुआ जब उसके क्लब पय्यादे एससी ने उसे वरिष्ठ खिलाड़ियों के खिलाफ 15 साल की उम्र में ओपनर बल्लेबाज बनाने का फैसला किया। वहीं से उसका आत्मविश्वास बढ़ा। मैंने कोशिश की कि मैं वही गलतियां न करूं जो मैंने सरफराज के साथ अभ्यास के समय की थी। सरफराज शाम को नेट्स पर ट्रेनिंग करता था। जब वह मुंबई के लिए खेलने गया तो सुबह के समय लाल गेंद से थोड़ा संघर्ष कर रहा था। मुझे गलती का एहसास हुआ। इसलिए अब हम सुबह अभ्यास करते हैं जब पिच पर ओस होती है। इसलिए मुशीर तेज गेंदबाजों को आराम से खेल लेता है।”

सरफराज और मुशीर के क्रिकेटर बनने में उनके पिता नौशाद का अहम योगदान रहा है। खेल के प्रति उनके जुनून का समर्थन करने के लिए कई तरह के काम किए। पिता ने एक बार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि कैसे परिवार ने मुश्किल समय में गुजारा किया। उन्होंने कहा, “हम झुग्गी-झोपड़ियों में रहत थे, शौचालय के लिए कतारों में खड़े रहते थे, जहां मेरे बेटों को थप्पड़ मारकर पीछे कर दिया जाता था। हमारे पास कुछ भी नहीं था और न ही हम कुछ भी वापस ले जाएंगे। सरफराज ने एक बार मुझसे कहा था, ‘अब्बू, ऐसा नहीं हुआ तो क्या होगा। हम ट्रैक-पैंट बेच सकते हैं। “