राजेंद्र सजवान

मेस्सी के देश की जीत का जश्न पूरी दुनिया ने देखा और अपने अपने अंदाज में स्तुतिगान गाया। भले ही भारत फुटबाल में बड़ी ताकत नहीं है लेकिन शुरू से आखिर तक इस महाकुंभ में भारतीय भागीदारी भी बढ़ चढ़ कर रही है। भारतीय फुटबाल प्रेमी किस कदर फुटबाल के दीवाने हैं, यह बताने की जरूरत नहीं है। विश्व कप के कारण भारत के घर-घर, गली-कूचे और बड़े छोटे शहरों में फुटबाल की चर्चा आम हो जाती है। संयोग से फीफा कप के कारण फुटबाल के बने बनाए माहौल में भारत अपनी राष्ट्रीय फुटबाल चैम्पियनशिप , संतोष ट्राफी का आयोजन करने जा रहा है ।

भारतीय नजरिए से अच्छी बात यह रही कि फीफा कप के कारण भारतीय फुटबाल फेडरेशन (एआइएफएफ) इस बार हमेशा की तरह सोया नहीं रहा। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र क्यों विश्व कप में नहीं खेल पा रहा और कैसे भारतीय फुटबाल को बेहतर बनाया जा सकता है, इस बारे में अध्यक्ष कल्याण चौबे और महासचिव शाजी प्रभाकरन पहले ही चिंता ज़ाहिर कर चुके हैं और प्रयास भी शुरू हो गए हैं। शुरुआत संतोष ट्राफी राष्ट्रीय फुटबाल चैम्पियनशिप के साथ हो रही है, जिसका आयोजन छह अलग-अलग शहरों में किया जाना है ।

उल्लेखनीय है कि कल्याण चौबे ने महासंघ अध्यक्ष का पद संभालते ही सबसे पहली चुनौती संतोष ट्राफी को बताया था और कहा था कि राष्ट्रीय चैम्पियनशिप उनकी पहली प्राथमिकता होगी और हर हाल में उनकी टीम संतोष ट्राफी को फिर से जीवित करने और प्रमुख दर्जा देने के लिए दृढ संकल्प है । चौबे- शाजी टीम ने पूर्व अध्यक्ष प्रफुल पटेल राज के काले अध्याय से ऊपर उठ कर प्रयास शुरू कर दिए हैं। संयोग से नई शुरुआत 23 दिसंबर से देश की राजधानी दिल्ली से हो रही है। फेडरेशन के अनुसार संतोष ट्राफी के सेमीफाइनल और फाइनल सऊदी अरब में खेले जाएंगे। यह हैरानी वाली बात जरूर है, लेकिन ऐसा संतोष ट्राफी को लोकप्रिय बनाने के लिए किया जा रहा है।

दिल्ली साकर एसोसिएशन द्वारा क्षेत्रीय आयोजन 23 से 31 दिसंबर तक राजधानी के नेहरू स्टेडियम और आंबेडकर स्टेडियम किया जा रहा है, जिसमें मेजबान दिल्ली, गुजरात, त्रिपुरा, लद्दाख, उत्तराखंड और कर्नाटक की टीमें भाग ले रही हैं । फुटबाल दिल्ली के महासचिव आकाश नरूला के अनुसार सफल आयोजन के लिए कार्यकारी अध्यक्ष शराफत उल्लाह की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन कर दिया गया है जिसमें डीएसए कोषाध्यक्ष लियाकत अली, आयोजन सचिव रिज़वान उल हक शामिल हैं ।

शराफत उल्लाह के अनुसार पहली बार दिल्ली सरकार ने दिल्ली की फुटबाल और खासकर संतोष ट्राफी जैसे आयोजन को अपना पूरा समर्थन और सहयोग देने की घोषणा की थी और फिर बिना कोई कारण बताए हाथ पीछे भी खींच लिए। चूंकि खेल दिल्ली सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं इसलिए आयोजन से जुड़े सभी खर्च दिल्ली सरकार उठाने का आश्वासन दे चुकी थी लेकिन हाथ पीछे खींचने के बाद मेजबान दिल्ली को बड़ा झटका लगना स्वाभाविक है े फिलहाल फुटबाल फेडरेशन ने मेजबान दिल्ली को जारी रखने के लिए हरी झंडी दिखा दी है।हो सकता है ग्रुप मुकाबलों के बाद मुख्य आयोजन की मेजबानी भी दिल्ली को मिल जाए ।

अर्थात दिल्ली के सामने दोहरी जिममेदारी है े एक तो अपनी श्रेष्ठ टीम का चयन , दूसरे सफल आयोजन करना । दिल्ली के जिम्मेदार पदाधिकारी अपनी टीम की कामयाबी को लेकर आश्वस्त हैं लेकिन एक माह से अधिक चले चयन शिविर के बाद टीम के चयन के बारे में काफी कुछ कहा सुना जा रहा है। खबर यह है कि चयन समिति और टीम के कोचों के बीच तालमेल की कमी देखी गई और कुछ बेहतर खिलाडियों को टीम में स्थान नहीं मिला है। यदि सचमुच ऐसा है तो मेजबान को जगहंसाई का सामना करना पड़ सकता है।