भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी संदीप पाटिल ने शनिवार 9 अक्टूबर 2022 को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। इसके कुछ घंटों बाद उनके खिलाफ मौजूदा संयुक्त सचिव संजय नाइक ने हितों के टकराव की शिकायत दर्ज करा दी। संदीप पाटिल 1983 विश्व कप विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे।

आईएएनएस की खबर के मुताबिक, संजय नाइक ने इस संबंध में एमसीए के लोकपाल और एथिक्स (नैतिकता) अधिकारी न्यायमूर्ति दिलीप भोसले (सेवानिवृत्त) को 13-पेज का शिकायत पत्र लिखा है।

इसमें उन्होंने कहा है, संदीप पाटिल एमसीए के शीर्ष परिषद के अध्यक्ष और/या सदस्य के पद के लिए नामांकन दाखिल करने के योग्य नहीं हैं, क्योंकि वह एमसीए के संविधान के नियम 38 (वी) (हितों का टकराव) के तहत पात्र नहीं या अयोग्य हैं।

संजय नाइक ने रेखांकित किया कि संदीप पाटिल भारत के पूर्व तेज गेंदबाज सलिल अंकोला के करीबी रिश्तेदार हैं। सलिल अंकोला वर्तमान में एमसीए सीनियर पुरुष चयन समिति के अध्यक्ष हैं। सलिल अंकोला की बेटी सना की शादी संदीप पाटिल के बेटे चिराग पाटिल से हुई है।

संजय नाइक ने कहा, ‘ध्यान रखने वाली बात यह है कि संदीप पाटिल की बहू यानी श्रीमती सना पाटिल पूर्व कुलनाम सना अंकोला, क्रिकेटर सलिल अंकोला की बेटी हैं। सलिल अंकोला मुंबई सीनियर चयन समिति के मौजूदा अध्यक्ष हैं। चूंकि सलिल अंकोला की बेटी संदीप पाटिल की बहू हैं, इसलिए प्रतिवादी और सलिल अंकोला के बीच करीबी रिश्ता है।’

उन्होंने आगे लिखा है, ‘इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से हितों के टकराव का मामला है, जैसा कि एमसीए के संविधान के नियम 38 (वी) में परिभाषित किया गया है। ऐसे में एमसीए अध्यक्ष पद के लिए संदीप पाटिल के नामांकन को खारिज करने की आवश्यकता है।’

उन्होंने आगे लिखा है, ‘यहां ऊपर वर्णित तथ्यों और परिस्थितियों में शिकायतकर्ता सम्मानपूर्वक कहता है कि कि प्रतिवादी एमसीए के उक्त संविधान के उक्त नियम 38 (वी) के तहत अध्यक्ष और/या एमसीए की शीर्ष परिषद के सदस्य के पद के लिए अपना नामांकन जमा करने के लिए स्पष्ट रूप से अयोग्य है, इसलिए प्रतिवादी अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन जमा करने और चुनाव लड़ने का हकदार नहीं है।’

उन्होंने यह भी लिखा, ‘इसलिए न्याय और एमसीए के हित में प्रतिवादी की ओर से दाखिल किए गए नामांकन फॉर्म को अस्वीकार/रद्द किया जाना आवश्यक है और/या प्रतिवादी को एमसीए अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।’