इंडियन एक्सप्रेस ने 3 नवंबर 2021 को प्रकाशित अपनी खबर में लिखा था कि भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच शोर्ड मारिन का ‘फुल एंड फाइनल पेमेंट’ हॉकी इंडिया की सिफारिश के बाद रोक दिया गया है, क्योंकि उन्होंने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) की ओर से दिया गया लैपटॉप नहीं लौटाया है। पूरी खबर यहां पढ़ें
इस कारण हॉकी इंडिया ने उन्हें ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ (एनओसी) नहीं दिया। नीदरलैंड के शोर्ड मारिन के अनुसार, यह लैपटॉप अब भारत पहुंचने वाला है। इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए, हॉकी इंडिया ने कहा कि अपने लंबित वेतन पर मारिन की टिप्पणी ‘भारतीय खेल प्रशासन की एक काली तस्वीर को चित्रित’ करने का एक ‘दुर्भावनापूर्ण प्रयास’ था। साथ ही दावा किया कि कोच को सिर्फ 1,800 अमेरिकी डॉलर की राशि देने ही बाकी है।
हॉकी इंडिया ने कहा, ‘लैपटॉप नहीं लौटाने के कारण हॉकी इंडिया एनओसी जारी करने में असमर्थ है। संघ मानता है कि भारतीय खेल प्राधिकरण ने 1800 अमेरिकी डॉलर की राशि रोक कर अपने अधिकारों के भीतर ही काम किया है। मामला यह है कि मारिन को उस अमूल्य डेटा (Data) के साथ लैपटॉप वापस करने को कहा गया था। इसके बाद मारिन ने भारतीय खेल प्रशासन को कलंकित करने की कोशिश की।’
भारत के पूर्व कोच ने मंगलवार को किसी भी अधिकारी या संस्था को दोष दिए बिना इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि उन्हें साई से अपना ‘फुल एंड फाइनल पेमेंट’ और उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार से 25 लाख रुपए नहीं मिले हैं। यूपी सरकार ने इनाम के तौर पर 25 लाख रुपए देने का वादा किया था। उन्होंने कहा था, ‘वह संबंधित लोगों के साथ लगातार संपर्क में हैं। उन्हें विश्वास है कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।’
हॉकी इंडिया के महासचिव राजिंदर सिंह ने बुधवार को जारी बयान में कहा, ‘हम बताना चाहते हैं कि उन्हें जारी किया गया लैपटॉप वापस नहीं करना डेटा चोरी के बराबर है, क्योंकि उसमें भारतीय खिलाड़ियों का बहुत ही अहम डेटा है। हम लैपटॉप और उनके पास मौजूद डेटा की आसान रिकवरी के लिए मारिन के खिलाफ आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश करते हैं।’
हॉकी इंडिया के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए नीदरलैंड के रहने वाले मारिन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने पहले ही लैपटॉप भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लैपटॉप ओलंपिक के बीच में ही क्रैश हो गया था।