भारत के ऑलटाइम ग्रेट ओलंपियन कहे जाने वाले सुशील कुमार सलाखों के पीछे हैं। सागर राणा मर्डर केस में दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने उन्हें रविवार (23 मई) को गिरफ्तार कर लिया। छत्रसाल स्टेडियम में हुई इस घटना के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि रेसलर का क्राइम कनेक्शन क्यों बढ़ते जा रहा है? पहलवानों से जुड़े मामले इससे पहले भी सामने आए हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र और 2020 के दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार उमर खालिद पर भी एक पहलवान ने गोली चलाई थी।

पुलिस में दशकों बिताने वाले रिटायर्ड अधिकारी अशोक चंद ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने ऐसे कई उदाहरण देखे हैं जहां पहलवानों को उनके शारीरिक क्षमता के कारण समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा उपयोग किया जाता है। चंद ने कहा, ‘‘कई सक्रिय और पूर्व पहलवान हैं जिन्हें राजनेताओं द्वारा बाहुबली के रूप में, बैंकों और साहूकारों द्वारा वसूली एजेंटों, क्लबों और पबों में बाउंसरों के रूप में भर्ती किया जाता है। कुछ ऐसे हैं जो आपराधिक गिरोहों और गैंगस्टरों में शामिल हो जाते हैं। वे जबरन वसूली और धमकाने वाले व्यवसायों में शामिल होते हैं।’’

ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जो चंद के दावे की पुष्टि करते हैं। कुछ साल पहले हरियाणा के एक गांव के सरपंच की जमीन को लेकर हुए विवाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के बाहर उमर खालिद पर दो गोलियां चलाने का आरोपी नवीन दलाल हरियाणा के एक गांव मंडोठी का एक पूर्व पहलवान है। हरियाणा के एक अन्य पहलवान राकेश मलिक ने हत्या के आरोप में जेल की सजा काट ली और रिहा होने के बाद एक और हत्या के प्रयास में शामिल था। इस साल की शुरुआत में एक कुश्ती कोच ने एक महिला पहलवान द्वारा दुर्व्यवहार का आरोप लगाने के बाद पांच खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी।

सुशील कुमार भी कई झड़पों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। सुशील को बंदूकों से खास लगाव है। उन पर पहले भी जूनियर रेसलर्स को प्रताड़ित करने के आरोप लगते रहे हैं। वे पहले टोल का भी करते थे, लेकिन बाद में छोड़ दिया। उस दौरान यह कहा जाता था कि इस रेसलर ने MCD के टोल का ठेका लिया था। इसे सुंदर भाटी के गुर्गे ऑपरेट करते थे। हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया था।