मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट करियर की बात होगी वानखेड़े के बगैर यह अधूरी ही रहेगी। तेंदुलकर का यह होम ग्राउंड है। रणजी करियर शुरू होने, 2011 में वर्ल्ड चैंपियन बनने और आखिरी मैच खेलने तक तेंदुलकर की यादें जुड़ी हुई हैं। वर्ल्ड कप 2023 में भारत-श्रीलंका के बीच गुरुवार को मैच से एक दिन पहले बुधवार को वानखेड़े स्टेडियम के बाहर सचिन तेंदुलकर के स्टैच्यू का अनावरण हुआ। तेंदुलकर और विजय मर्चेंट स्टैंड के बीच लॉफ्टेड शॉट खेलते हुए उनकी मूर्ति लगी है।

सचिन तेंदुलकर खुद स्टैच्यू के अनावरण के दौरान मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने वानखेड़े से जुड़ी यादें ताजा कीं। उन्होंने बताया कि साल 1983 में वह पहली बार इस स्टेडियम में गए थे। भारत-वेस्टइंडीज के बीच मैच देखने के लिए उन्होंने स्टेडियम में चोरी-छुपे एंट्री ली थी। तेंदुलकर अपने भाई और बांद्रा हाउसिंग सोसाइटी के दोस्तों के साथ स्टेडियम पहुंचे। उन्होंने बांद्रा से चर्चगेट तक लोकल ट्रेन पकड़ी। 25 लोगों का ग्रुप नॉर्थ स्टैंड में बैठा था। उनके पास 24 टिकट थे।

हम सभी क्रिकेटर जानते हैं कि नॉर्थ स्टैंड क्या कर सकता है

सचिन तेंदुलकर ने कहा,” बांद्रा में मेरे कॉलोनी के सभी दोस्त, 10 साल के नहीं बल्कि मेरे भाई के दोस्त शायद 30-40 साल के… उन सभी ने इस मैच देखने जाने का फैसला किया। मुझे नहीं पता कि ये कैसे हुआ, लेकिन 10 साल के सचिन को भी साथ चलने के लिए कहा गया। मैं उनके साथ चला गया। हम सभी क्रिकेटर जानते हैं कि नॉर्थ स्टैंड क्या कर सकता है… जब वहां बैठे फैंस टीम को बैक करते हैं, तो कोई भी प्रतिद्वंद्वी भारत और मुंबई को नहीं रोक सकता। हमने वानखेड़े स्टेडियम तक पहुंचने के लिए ट्रेन लिया।”

हमारे पास केवल 24 टिकट थे और सचिन को चुपचाप अंदर घुसाया

सचिन तेंदुलकर ने आगे कहा,” मैं नॉर्थ स्टैंड गैंग का हिस्सा था। मैंने भी खूब शोर मचाया। खेल का आनंद लिया। बाद में खेल के बाद जब हममें से 25 लोग ट्रेन में चढ़े, तो किसी ने कहा कि अच्छा मैनेज किया? किसी ने पूछा कि क्या मैनेज किया? उन्होंने जवाब दिया कि हमारे पास केवल 24 टिकट थे और सचिन को चुपचाप अंदर घुसाया।” तेंदुलकर ने वानखेड़े स्टेडियम में अपने पहले इंटर-स्कूल मैच को भी याद किया। आजाद मैदान में खेलते समय की तुलना में उन्हें खूब गैप मिले। उन्होंने कहा कि आजाद मैदान में पिचें एक-दूसरे के काफी करीब हैं और बल्लेबाज भ्रमित हो जाते हैं कि फील्डर इस मैच का हिस्सा है या किसी और के।

गावस्कर की सीट पर बैठे

सचिन तेंदुलकर ने बताया,” जब मैं पहली बार वानखेड़े स्टेडियम में दाखिल हुआ तो सुनील गावस्कर ने मुझे ड्रेसिंग रूम दिखाया। अगले वर्ष मुझे रणजी ट्रॉफी टीम के लिए चुना गया और जैसे ही मैंने ड्रेसिंग रूम में पहुंचा मैं सोच रहा था कि कहां बैठना चाहिए क्योंकि मुंबई के पास स्थापित खिलाड़ी थे। मैंने कोने में एक खाली कुर्सी देखी और मैं वहां जाकर बैठ गया। फिर किसी ने मुझसे कहा कि यह एसएमजी (गावस्कर की) की सीट है। जब मैं यहां खड़ा होता हूं तो वास्तव में विनम्र महसूस करता हूं। मैं जब ग्राउंड पर जाता हूं हजारों छवियां मेरे दिमाग और विचारों में आती हैं। बहुत सारी अविश्वसनीय यादें हैं। इस मैदान पर आना सम्मान की बात है, जिसने मुझे जीवन में सब कुछ दिया है।”