मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर चाहते हैं कि डिसिजन रिव्यू सिस्टम (DRS)में अंपायर कॉल नियम में बदलाव चाहते हैं। तेंदुलकर ने सोमवार (26 अगस्त) को सोशल मीडिया साइट रेडिट पर फैंस से बातचीत में कही। इस दौरान उनसे सवाल हुआ कि क्रिकेट का कौन सा नियम वह बदलना चाहेंगे। इस पर उन्होंने अंपायर्स कॉल का नाम लिया।
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि खिलाड़ी मैदान पर मौजूद अंपायर के फैसले से नाखुश होने के कारण डीआरएस लेता है, ऐसे में उनका मानना है कि उस फैसले को बरकरार रखने का कोई विकल्प नहीं होना चाहिए। आस्क मी एनीथिंग (AMA) सेशन के दौरान तेंदुलकर ने कहा, ” मैं अंपायर कॉल को लेकर डीआरएस नियम बदलूंगा। खिलाड़ियों ने थर्ड अंपायर के पास जाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वे मैदान पर मौजूद अंपायर के फैसले से नाखुश थे। इसलिए उस फैसले को बरकरार रखने का कोई विकल्प नहीं होना चाहिए। जिस तरह खिलाड़ियों का खराब समय होता है। उसी तरह अंपायरों का भी खराब समय होते हैं। तकनीक भले ही गड़बड़ हो वह गड़बड़ ही रहेगी।”
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पहले भी अंपायर कॉल की आलोचना कर चुके हैं तेंदुलकर
यह पहला मौका नहीं था कि सचिन तेंदुलकर ने अंपायर कॉल को हटाया जाना चाहए। 2020 में उन्होंने कहा था कि अगर बॉल ट्रैकिंग के दौरान गेंद जरा सा भी स्टंप पर लगती है तो आउट दिया जाना चाहिए। उन्होंने वेस्टइंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा के साथ एक वीडियो चैट में कहा था, “मैं आईसीसी के डीआरएस से सहमत नहीं हूं,जिसका इस्तेमाल काफी समय से हो रहा है। एलबीडब्ल्यू के मामले में मैदान पर लिए गए फैसले को पलटने के लिए गेंद का 50% से ज्यादा हिस्सा स्टंप्स पर लगनाज़रूरी है। वे (बल्लेबाज या गेंदबाज) सिर्फ इसलिए ऊपर गए हैं क्योंकि वे मैदान पर लिए गए फैसले से नाखुश हैं, इसलिए जब फैसला तीसरे अंपायर के पास जाए तो तकनीक को अपना काम करने दें। बिल्कुल टेनिस की तरह या तो इन या आउट होना चाहिए। बीच का रास्ता नहीं होना चाहिए।”

अंपायर कॉल क्या है?
अंपायर कॉल का इस्तेमाल तब किया जाता है जब डीआरएस तकनीकी साक्ष्य निर्णायक न होने की स्थिति में मैदान पर लिए गए फैसले को ‘संदेह का लाभ’ देता है। बॉल-ट्रैकिंग तकनीक के अनुसार जब गेंद का 50% से कम हिस्सा (बेल्स को छोड़कर) स्टंप्स पर लग रहा हो तो यह अंपायर कॉल होता है। हालांकि, ऐसी स्थिति में टीमें अपने रिव्यू नहीं गंवाती।