कोई भी क्रिकेटर संपूर्ण नहीं होता, लेकिन अगर कोई पूर्णता के करीब है तो फिर हरभजन सिंह के दिमाग में एक ही नाम आता है और वह है सचिन तेंदुलकर का। इसके लिए उन्होंने साल 2003 वर्ल्ड कप का उदाहरण दिया, जिसमें मास्टर ब्लास्टर ने 600 से ज्यादा रन बनाए थे और गोल्डन बैट अपने नाम किया था। इसी टूर्नामेंट में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरियन में शानदार 98 रन की पारी खेली। शोएब अख्तर को अपर कट लगाकर थर्ड मैन के ऊपर से छक्का मारा था।

हरभजन सिंह ने सचिन तेंदुलकर के 50वें जन्मदिन से पहले पीटीआई से कहा कि पाजी (तेंदुलकर को उनके जूनियर साथी इसी नाम से पुकारते हैं) संभवत: वह क्रिकेटर हैं, जो संपूर्ण होने के काफी करीब है। निश्चित रूप से एक व्यक्ति के रूप में वह आदर्श व्यक्ति हैं तथा हमारे देश में उनके असंख्य समर्थकों और भगवान जैसा दर्जा मिलने के बावजूद जिंदगी को सम्मान और विनम्रता के साथ कैसे जीना चाहिए इसका वह शानदार उदाहरण हैं।

मेरे जीवन में मार्गदर्शक का काम किया

हरभजन सिंह से जब सचिन तेंदुलकर से जुड़ी यादों को साझा करने के लिए कहा गया तो वह हंस पड़े। उन्होंने कहा,‘‘ ढेर सारी यादें हैं। उन्होंने मेरे जीवन में मार्गदर्शक का काम किया है। उनसे जुड़ी कई व्यक्तिगत और भावनात्मक यादें हैं, जिन्हें मैं अपनी कहानी के लिए सुरक्षित रखूंगा, लेकिन फिर भी मैं कुछ आपके साथ साझा कर सकता हूं।’’

2003 वर्ल्ड कप में एक भी दिन नेट्स पर बल्लेबाजी नहीं की थी

हरभजन सिंह ने कहा,‘‘ सचिन तेंदुलकर की प्रतिभा को समझने के लिए एक छोटी सी कहानी ही पर्याप्त होगी। दक्षिण अफ्रीका में 2003 में खेले गए विश्वकप के दौरान पाजी ने एक भी दिन नेट्स पर बल्लेबाजी नहीं की थी। भारतीय गेंदबाजी आक्रमण अच्छा प्रदर्शन कर रहा था लेकिन जवागल श्रीनाथ, आशीष नेहरा, जहीर खान, अनिल कुंबले या मैंने टूर्नामेंट के दौरान नेट्स पर उन्हें एक भी गेंद नहीं की।’’

सचिन तेंदुलकर ने ऐसे की थी वर्ल्ड कप में तैयारी

सचिन तेंदुलकर विश्वकप के दौरान मैचों के लिए कैसे तैयारी करते थे, इस पर हरभजन ने कहा,‘‘ उस समय आज की तरह थ्रो डाउन की मशीन नहीं हुआ करती थी, लेकिन हमारे साथ एक व्यक्ति श्यामल थे जो पाजी को 18 गज और कभी-कभी 16 गज से थ्रो डाउन करते थे। वह घंटों तक इस तरह से अभ्यास करते थे।’’