10 मीटर एअर राइफल स्पर्धा में व्यक्तिगत और टीम स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक खेलों में देश के लिए सोना लाने का लक्ष्य तय किया था। अब उसने विश्व स्पर्धा जीतकर 2024 में फ्रांस में होने वाले ओलंपिक खेलों में खेलने का हक हासिल कर लिया है। महाराष्ट्र के निशानेबाज रूद्रांक्ष बालासाहेब पाटिल ने अपने लिए ओलंपिक का पहला कोटा पक्का किया है।

मिस्र के काहिरा में हुई विश्व शूटिंग चैंपियनशिप की 10 मीटर एअर राइफल स्पर्धा में विश्व रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं रूद्रांक्ष। उनसे पहले अभिनव बिंद्रा यह कारनामा कर चुके हैं। वह निशानेबाजी में अभिनव बिंद्रा, तेजस्विनी सावंत, मानवजीत सिंह संधू, ओम प्रकाश मिथरवाल और अंकुर मित्तल के बाद देश के छठे विश्व चैंपियन हैं।

रूद्रांक्ष के कोच अजित पाटिल हैं, जिन्होंने तेजस्विनी सावंत को भी प्रशिक्षित किया है। पाटिल के अनुसार, रूद्रांक्ष की यह जीत खास तौर से इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने बहुत सीमित साधनों के साथ शूटिंग का अभ्यास शुरू किया। ठाणे में रहते हुए रूद्रांक्ष के लिए निशानेबाजी का अभ्यास करना मुश्किल था, क्योंकि उनके घर के आसपास कोई शूटिंग रेंज नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने 2015 में इंटर स्कूल निशानेबाजी प्रतियोगिता में सफलता अर्जित करके अपने उज्ज्वल भविष्य का संकेत दे दिया था।

इस खेल में लगन, ध्यान और अभ्यास को सफलता का मूल मंत्र माना जाता है। अजित बताते हैं कि रूद्रांक्ष के घर के पास एक स्कूल था। वहां शूटिंग रेंज तो थी, लेकिन बरसों से बंद पड़ी थी। रूद्रांक्ष ने पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी द्वारा चलाए जाने वाले उस स्कूल के प्रबंधकों से बात करके उनसे शूटिंग रेंज में अभ्यास करने की इजाजत मांगी। उन्हें इजाजत मिल गई और उन्होंने वहां इलेक्ट्रानिक शूटिंग रेंज लगवाकर 2018 से वहां अभ्यास करना शुरू किया। इसके आगे का रास्ता उनकी लगन और मेहनत ने हमवार कर दिया।

रूद्रांक्ष के पिता बाला साहेब पाटिल भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं और पालघर के पुलिस अधीक्षक हैं। उनकी मां हेमांगिनी पाटिल नवी मुंबई के वाशी में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) हैं। उनके माता पिता ने शुरू से ही रूद्रांक्ष को निशानेबाजी के लिए प्रेरित किया, हालांकि रूद्रांक्ष को फुटबाल खेलना ज्यादा पसंद था। उनके पिता को लगता था कि फुटबाल के मुकाबले निशानेबाजी में बेहतर संभावना है। यही वजह है कि कई बार मीडिया में उन्हें ‘एक्सीडेंटल शूटर’ भी कहा जाता है।

उनके पिता का अनुमान सही साबित हुआ और रूद्रांक्ष ने 15 साल की उम्र में एशियाई निशानेबाजी स्पर्धा में दोहरी सफलता हासिल करने के अलावा देश और विदेश की अनेक स्पर्धाओं में सफलता हासिल की। वह जूनियर विश्व निशानेबाजी वरीयताक्रम में पहले और सीनियर वरीयताक्रम में सातवें स्थान पर हैं। रूद्रांक्ष की इस जीत पर अभिनव बिंद्रा ने उन्हें बधाई दी और आगे भी उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दीं।

अपनी ताजा जीत से प्रसन्न रूद्राक्ष ने एक टेलीविजन चैनल के साथ मुलाकात में कहा कि काहिरा में आइएसएसएफ विश्व चैंपियनशिप की 10 मीटर एअर राइफल स्पर्धा के फाइनल में जीत दर्ज करने के बाद भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और पलटकर तालियां बजाने वाले दर्शकों को देखा और थोड़ी देर के बाद हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया। रूद्रांक्ष बताते हैं कि ताकतवर प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ उन्हें अपनी जीत को स्वीकार करने में कुछ वक्त लगा। उन्हें भले खुद की जीत पर विश्वास करने में समय लगता हो, लेकिन देशवासियों को यह भरोसा करने में कतई वक्त नहीं लगा कि 2024 के पेरिस ओलंपिक खेलों में रूद्रांक्ष देश के लिए सोने पर निशाना लगाने वाले हैं।