भारत की बहुप्रतीक्षित टी20 विश्व कप जीत को अभी 24 घंटे भी नहीं हुए हैं और सूर्यकुमार यादव बारबाडोस में अपने टीम होटल के नीचे सड़क पर कर्फ्यू जैसे नजारे और घर से मिल रहे सामूहिक जश्न के वीडियो देखकर खुश हैं। सूर्यकुमार जीत के बाद की पार्टी से लौटे थे। उनके फोन पर 1,014 व्हाट्सएप बधाई संदेश थे। हालांकि, उनसे खेल के बारे में पूछें तो उन्हें कप्तान रोहित शर्मा द्वारा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल से कुछ मिनट पहले टीम मीटिंग में दिया गया शानदार भाषण याद आता है।

रोहित की स्पीच सुन भावुक हो गए थे सभी खिलाड़ी

बारबाडोस से इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सूर्या कहते हैं, ‘उन्होंने हमें इसे सरल रखने के लिए कहा लेकिन साथ ही कहा, ‘मैं इस पहाड़ पर अकेले नहीं चढ़ सकता। अगर मुझे शिखर पर पहुंचना है, तो मुझे सभी की ऑक्सीजन की जरूरत होगी। जो भी है, पांव में, दिमाग में, दिल में, बस खेल में सब कुछ लाओ। अगर ऐसा हुआ, तो हमें पछतावा नहीं होगा। यह सुनकर हम सभी भावुक हो गए।’ यह सूर्या ही थे जिन्होंने डेविड मिलर को आउट करने के लिए शानदार कैच लपका और मैच का रुख पलट दिया।

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सूर्यकुमार यादव याद करते हुए बताते हैं कि अगर रोहित अपने एक्शन और शब्दों से आगे बढ़ते थे तो कोच राहुल द्रविड़ एक साधारण स्लाइड प्रेजेंटेशन के साथ माहौल बना देते थे। सूर्यकुमार यादव को ये चीजें अहसास कराती थीं कि उन्हें इस अवसर पर खरा उतरना होगा।

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सूर्या कहते हैं, ‘उन्होंने पूरी भारतीय टीम द्वारा खेले गए टी20 मैचों की संख्या का ग्राफ दिखाया – विराट भाई से लेकर यशस्वी जायसवाल (सबसे जूनियर सदस्य) तक। यह संख्या 800 से अधिक थी… और फिर उन्होंने एक दूसरी स्लाइड दिखाई जिसमें राहुल भाई समेत पूरे कोचिंग स्टाफ द्वारा खेले गए मैचों की संख्या थी- वह संख्या 1 थी। उन्होंने हमसे कहा, ‘सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए आप सबसे अच्छे जज हैं। इसलिए बाकी सब कुछ हम पर छोड़ दें, वहां जाएं और अपने खेल का आनंद लें।’

क्या था टीम के लिए आदर्श वाक्य

सूर्यकुमार कहते हैं कि टीम का एक आदर्श वाक्य था जिसका पूरे अभियान के दौरान पालन किया गया। उन्होंने कहा, ‘शुरुआत से पहले, हमने तय किया कि टूर्नामेंट में आगे क्या होने वाला है हम इस बारे में बात नहीं करेंगे। सुपर 8 के बारे में किसी ने नहीं सोचा था और बारबाडोस में फाइनल के लिए भी यही सच था। हमारा दिमाग वहीं होना चाहिए जहां हमारे पैर हैं- यही हमारा आदर्श वाक्य था।’

रोहित की नेतृत्व शैली के बारे में सूर्यकुमार कहते हैं, ‘वह खिलाड़ियों से जुड़ते हैं। मैदान के बाहर, चाहे वह होटल के कमरे में हो या समुद्र तट पर, वह सभी से जुड़ते हैं। इसलिए जब कोई मुश्किल स्थिति आती है, तो खिलाड़ी जानते हैं कि वह (रोहित) हमारा साथ देंगे। मुझे लगता है कि मुझे इस आदमी के लिए प्रदर्शन करना होगा, क्योंकि वह सभी को आत्मविश्वास और सम्मान देता है।’

हार नहीं मानने का जज्बा काम आया

सूर्या कहते हैं कि टीम का कभी हार न मानने वाला जज्बा, जो टूर्नामेंट के अहम मौकों पर काम आया – चाहे वह पाकिस्तान के खिलाफ मैच हो, जहां भारत ने मैच के आखिर में वापसी की या फाइनल जब दक्षिण अफ्रीका को 24 गेंद पर सिर्फ 26 रन चाहिए थे और उसके छह विकेट गिरना शेष थे तब भी टीम ने एकजुट होकर मुकाबला किया- यह सब गहरे आत्मविश्वास से उपजा है।

सूर्यकुमार यादव ने बताया, ‘कप्तान से लेकर हर कोई निश्चिंत था, क्योंकि हम जानते थे कि एक जादुई चीज होगी और हम मैच में लौट आएंगे और जिस तरह से बुमराह और अर्शदीप ने गेंदबाजी की, वह उल्लेखनीय थी।’