टी20 वर्ल्ड कप में बहुत कम समय बचा है। खिलाड़ी भले ही अपनी टीम के लिए खेल रहे हों या फिर लीग में, सभी का ध्यान उसी टूर्नामेंट पर लगा हुआ है। भारतीय टीम अमेरिका और वेस्टइंडीज में होने वाले इस टूर्नामेंट में रोहित शर्मा की कप्तानी में उतरने वाली है। इंग्लैंड के महान तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने टूर्नामेंट से पहले रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ को युवा गेंदबाज को लेकर अहम सलाह दी है।

मयंक को घरेलू क्रिकेट की जरूरत नहीं

ब्रॉड के मुताबिक लखनऊ सुपर जायंट्स के मयंक यादव अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए बिलकुल तैयार है। पिछले साल क्रिकेट के सभी प्रारूपों से विदा ले चुके ब्रॉड का मानना है कि कम उम्र में ही शुरुआत करके यादव शीर्ष स्तर पर बहुत कुछ सीख सकते हैं लेकिन उन्हें उतार चढ़ाव के लिये तैयार रहना होगा। स्टार स्पोटर्स की कमेंट्री टीम में शामिल ब्रॉड ने चैनल के स्टूडियो में पीटीआई से बातचीत में कहा ,‘‘ मुझे नहीं लगता कि उसे घरेलू क्रिकेट से होकर गुजरने की जरूरत है। शीर्ष स्तर पर खेलकर उसका शरीर खुद ब खुद सख्त हो जायेगा।’’

कम उम्र में शुरुआत का होता है फायदा

उन्होंने कहा ,‘‘उसका रनअप अच्छा है और उसे लाइन और लैंग्थ की भी अच्छी समझ है। किसी युवा गेंदबाज के लिये सबसे शीर्ष स्तर पर खेलना अच्छा सबक होता है । मैने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कम उम्र में शुरुआत करके ही बहुत कुछ सीखा। वह आईपीएल में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों के खिलाफ सीख रहा है।’’

चोटिल होते हैं तेज गेंदबाज

इंग्लैंड के लिये 604 टेस्ट विकेट ले चुके ब्रॉड ने कहा कि 21 वर्ष के मयंक को शीर्ष स्तर पर उतारने से उसे फायदा ही होगा क्योंकि भारत को एक खास गेंदबाज मिल गया है। उन्होंने कहा ,‘‘ मैं तो उसे भारतीय टीम में देखना चाहूंगा। जरूरी नहीं कि वह खेले लेकिन ड्रेसिंग रूम में बहुत कुछ सीख सकता है। भारत को एक खास खिलाड़ी मिल गया है जिसे ढंग से मैनेज करने की जरूरत है।’’ ब्रॉड ने आगे कहा कि तेज गेंदबाजों को चोट लगती रहती है ऐसे में मयंक को घरेलू क्रिकेट खेलने पर मजबूर करने से बेहतर है कि उन्हें टीम इंडिया में मौका दिया जाए।

दबाव की आदत डालने की जरूरत

उन्होंने कहा ,‘‘उसे यह याद रखना होगा कि खेल में चोट भी लगेगी। वह काफी रफ्तार से गेंद डालता है लेकिन उसकी लय जबरदस्त है। पहले दो आईपीएल मैचों में किसी तेज गेंदबाज को मैन ऑफ द मैच चुना जाना अक्सर नहीं होता। मैं उम्मीद करता हूं कि वह तीनों प्रारूप खेलेगा। उसे अपेक्षाओं के दबाव की भी आदत डालनी होगी। उसे हर मैच में तो मैन आफ द मैच पुरस्कार नहीं मिलेगा।’’

भाषा इनपुट के साथ