हम जब देश की टॉप महिला क्रिकेटरों की बात करते हैं तो सामने मिताली राज के साथ शांता रंगास्वामी, डायना एडुलजी, अंजुम चोपड़ा और शुभांगी कुलकर्णी के नाम सामने आते हैं। पर इनमें से कोई भी मिताली राज से बराबरी करता नहीं दिखता है। मिताली आजकल टी-20 महिला विश्व कप में खेल रही हैं। उन्होंने पिछले दिनों पाकिस्तान के खिलाफ अर्धशतकीय पारी खेलकर जीत में अहम भूमिका निभाई थी। मिताली ने अब क्रिकेट के इस सबसे छोटे प्रारूप यानी टी-20 से इस विश्व कप के बाद संन्यास लेने के संकेत दिए हैं। भारतीय टीम यदि इस बार विश्व कप जीत जाए तो यह मिताली की इस प्रारूप से विदाई का शानदार तरीका होगा। हम जब भी देश में टी-20 की बात करते हैं तो सबसे पहला नाम जेहन में रोहित शर्मा का आता है। पर दिलचस्प बात यह है कि मिताली राज टी-20 के अंतरराष्ट्रीय मैचों में रोहित शर्मा को भी पीछे छोड़ने में सफल रही हैं। इससे उनकी क्षमता को समझा जा सकता है। रोहित शर्मा ने अब तक खेले 87 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैचों में 33.43 के औसत से 2207 रन बनाए हैं। वहीं मिताली राज ने अब तक खेले 84 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैचों में 37.20 के औसत से 2232 रन बनाए हैं।
इस तरह वह भारत के लिए क्रिकेट के इस प्रारूप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं। अभी इस साल रोहित शर्मा को आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज खेलनी है और मिताली को इस विश्व कप में तीन मैच खेलने को मिल सकते हैं। इससे यह तय हो सकता है कि साल की समाप्ति पर दोनों में से कौन खिलाड़ी टॉप पर रहता है। मिताली कहती हैं कि भारतीय टीम अब जम चुकी है और तमाम युवा खिलाड़ी टीम में आने के लिए लाइन में हैं, इसलिए मेरे हिसाब से इस प्रारूप की क्रिकेट को छोड़ने का सही समय है। इसी तरह इस साल खेले 21 टी-20 मैचों में छह अर्धशतक जमाए हैं। इससे यह तो साफ है कि उन पर 35 साल का होने का ज्यादा प्रभाव नहीं है। उनमें पहले की तरह ही अब भी रनों की भूखी नजर आती हैं। इससे यह तो साफ है कि वह उम्र के प्रभाव की वजह से धीरे-धीरे क्रिकेट से अलग होने की योजना नहीं बना रही हैं बल्कि युवाओं की राह खोलने के इरादे से आगे बढ़ रही हैं। वह वनडे क्रिकेट में 6000 से ज्यादा रन बनाने वाली इकलौती भारतीय हैं। उन्होंने वनडे में 197 मैचों में 6550 रन बनाए हैं।
कई बार किसी की बुराई भी काम आ जाती है। मिताली राज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। वह बचपन में बहुत आलसी थीं और इस बुराई की वजह से आज वह हमारे सामने महान क्रिकेटर के तौर पर खड़ी हैं। मिताली के पिता दुराई राज बताते हैं कि मिताली राज बचपन में बहुत आलसी थीं। वह अपने बेटे मिथुन राज को सिकंदराबाद स्थित केयस स्कूल में क्रिकेट का प्रशिक्षण दिलाने को ले जाते थे। वह बेटी के आलस को भगाने के लिए इस दौरान उसके साथ वहां खेलते रहते थे। इस दौरान ही कोच ज्योति प्रसाद ने मिताली की प्रतिभा को पहचाना और कोचिंग देना शुरू किया। उसके बाद से मिताली राज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा है। मिताली पिछले विश्व कप में भारत को चैंपियन नहीं बना सकी थीं क्योंकि भारतीय टीम फाइनल में हार गई थी।
देश में महिलाओं को लेकर व्याप्त धारणाओं का मिताली भी शिकार बन सकती थीं। लेकिन पिता एअरफोर्स अधिकारी दुराई राज और उनकी पत्नी पक्के इरादे के थे। इसलिए उन्होंने रिश्तेदारों और सगे संबंधियों के दवाब को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और इसकी वजह से ही दुनिया को मिताली राज जैसी उम्दा क्रिकेटर मिल सकी। मिताली राज ने बचपन में ही क्लासिकल डांस भरतनाट्यम को सीखना शुरू कर दिया था। वे आठ साल तक यह नृत्य सींखतीं भी रहीं। उन्होंने जब नृत्य के बजाय क्रिकेट को करिअर बनाने का फैसला किया तो करीबी रिश्तेदारों को यह फैसला रास नहीं आया। वे कहते थे कि आप अपनी बेटी को क्रिकेटर बनाने की अनुमति को कैसे दे सकते हैं? कुछ कहते थे कि खुदा न खास्ता गेंद उसके चेहरे पर लग गई तो इसके साथ शादी कौन करेगा। लेकिन माता-पिता के लिए बेटी की दिलचस्पी सबसे महत्त्वपूर्ण थी। उन्हें इस बात की परवाह नहीं थी कि लोग क्या कह रहे हैं। उन्होंने मिताली की चाहत को अहमियत देकर बेटी को सपने साकार करने का भरपूर मौका दिया, जिसका परिणाम हम सभी के सामने है।