ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान 71 शतक लगाए। उन्होंने अपनी अगुआई में ऑस्ट्रेलिया को लगातार दो बार वनडे वर्ल्ड कप चैंपियन बनाया। हालांकि, हरभजन सिंह के खिलाफ खेलना उन्हें कभी भी रास नहीं आया। ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ने रविचंद्रन अश्विन से ऑनलाइन हुई बातचीत के दौरान यह बात स्वीकार की। उन्होंने यहां तक कहा कि एक बार भारत दौरे के समय वह इतना परेशान हो गए थे कि उनका अपनी बैटिंग टेक्निक तक से विश्वास उठ गया था।
रविचंद्रन अश्विन ने पोंटिंग से पूछा, ‘करियर के दौरान आपका कुछ महान ऑफ स्पिनर्स के साथ दिलचस्प संघर्ष रहा। सही है? आपने हरभजन सिंह, ग्रीम स्वान और हरभजन सिंह के खिलाफ बल्लेबाजी की। क्या आप हमें इन महान ऑफ स्पिनर्स के साथ अपने संघर्ष के बारे में बता सकते हैं?’ इस पर पोंटिंग ने कहा, ‘निश्चित रूप से हरभजन सिंह इनमें से एक हैं। मेरी उनके साथ कुछ अविश्वसनीय लड़ाइयां रहीं। और संभवतः ज्यादातर बार वह मुझसे बेहतर साबित हुए। निश्चित रूप से टेस्ट क्रिकेट में। मेरा मानना है कि टेस्ट मैच क्रिकेट में मुझे उससे ज्यादा किसी भी गेंदबाज ने नहीं आउट किया।’
पोंटिंग ने बताया, ‘मुझे 2001 की सीरीज याद है। मुझे लगता है कि उस सीरीज के दौरान हरभजन ने पांच बार या हर बार आउट किया। वह बहुत कम गेंदें फेंककर भी मुझको अपना शिकार बना लिया करता था। जब मैं पीछे देखता हूं तो कहूंगा कि मैं तस्मानिया में पला-बढ़ा। मैं पूरे करियर के दौरान हार्ड विकेट पर खेला। टॉप लेवल पर पहुंचने से पहले तक मैंने मुश्किल से स्पिन गेंदबाजी का सामना किया था। और जब आप टॉप लेवल पर पहुंचते हैं, जब आप ऑस्ट्रेलिया में खेलते हैं। जैसाकि आप जानते हैं, आप भी इस समय यहीं हैं। आप भी बहुत ज्यादा विकेट नहीं हासिल कर पाते हैं।’
पोंटिंग ने कहा, ‘एक बैट्समैन के तौर पर ऑस्ट्रेलियाई विकेटों पर आपको स्पिन के खिलाफ खेलते हुए बहुत ज्यादा डर नहीं लगता। लेकिन भारत में जाने पर, मुझे चेन्नई का वह टेस्ट आज भी याद है। मैंने उसे पूरे दौरे पर ठीक स्कोर (80, 90 या फिर शतक) किया था। चेन्नई में सीरीज का आखिरी टेस्ट मैच था।’
पोंटिंग ने बताया, ‘मैंने वहां भी अच्छे की उम्मीद की थी। मैं बल्लेबाजी के लिए गया। आगे बढ़कर गेंद को खेलने की कोशिश की। लेकिन मैं शॉर्ट लेग पर कैच हो गया। मैं पवेलियन लौटते समय सोच रहा था कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया, लेकिन फिर भी मैं आउट हो गया। उस मूवमेंट के बाद से मेरा अपनी बैटिंग टेक्निक पर से भरोसा उठ गया था। इसलिए मैंने खेलने के लिए दूसरे तरीके खोजने शुरू कर दिए।’