रणजी ट्रॉफी का सीजन 2019-20 शुक्रवार यानी 13 मार्च को खत्म हो गया। फाइनल मुकाबला सौराष्ट्र और बंगाल के बीच राजकोट में खेला गया। मैच ड्रॉ रहने के बाद पहली पारी में बढ़त के आधार पर सौराष्ट्र को विजेता घोषित किया गया। वह रणजी ट्रॉफी के 73 साल के इतिहास में पहली बार चैंपियन बना। इस सीजन में कई रिकॉर्ड बने तो कई खिलाड़ियों ने संन्यास भी लिया। इन सबके बीच कुछ ऐसे विवाद भी सामने आए, जो लोगों को लंबे समय तक याद रहेंगे।
उन्हीं विवादों में से एक था हिंदी बोलने का विवाद। दरअसल, फरवरी में कर्नाटक और बड़ौदा के बीच खेले गए रणजी मैच के दौरान बीसीसीआई के कमेंटेटर सुशील दोषी ने एक विवादित बयान दिया था। बड़ौदा की दूसरी पारी के सातवें ओवर के दौरान सुशील ने कहा, ‘‘मुझे अच्छा लगता है कि सुनील गावस्कर हिंदी में कमेंट्री करते हैं। खेल से जुड़ी अपनी राय भी इसी भाषा में जाहिर कर रहे हैं।’’
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इसके आगे सुशील ने कहा था, ‘‘अच्छा लगता है कि गावस्कर डॉट बॉल को ‘बिंदी’ बॉल कहते हैं।’’ इस पर दूसरे कमेंटेटर राजेंद्र अमरनाथ ने जवाब में कहा था कि हर भारतीय को हिंदी आनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी मातृभाषा है। इससे बड़ी कोई दूसरी भाषा नहीं। उन्होंने इसके बाद कहा था, ‘‘मुझे उन लोगों पर गुस्सा आता है, जो कहते हैं कि हम क्रिकेटर हैं तो अब भी हिंदी में बात करनी चाहिए क्या? आप भारत में रह रहे हैं तो आपको यहां की मातृभाषा यानी हिंदी बोलनी चाहिए।’’
बीसीसीआई के कमेंटेटर के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा था कि लोगों पर हिंदी थोपना बंद करें। हर भारतीय को हिंदी आना जरूरी नहीं। कर्नाटक ने बड़ौदा को उस मैच में 8 विकेट से हरा दिया था। बड़ौदा ने पहली पारी में 85 और दूसरी पारी में 296 रन बनाए थे। वहीं, कर्नाटक ने पहली पारी में 233 और दूसरी पारी में 2 विकेट पर 150 रन बनाकर मैच जीत लिया था।