रणजी ट्रॉफी में अंपायरिंग की गुणवत्ता पर हाल ही में महाराष्ट्र के बल्लेबाज अंकित बावने के साथ हुई घटना के बाद से सवाल उठ रहे हैं। बावने पर असहमति जताने के लिए एक मैच का प्रतिबंध लगाया गया है। बड़ौदा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के छठे दौर के मैच से पहले टीम को इस फैसले की जानकारी दे दी गई।
पांचवें दौर में बावने को विवादास्पद तरीके से आउट दिया गया था, जब उन्हें सर्विसेज के खिलाड़ी शुभम रोहिल्ला ने स्लिप में कैच आउट दे दिया था। गेंद उनके हाथों में जाने से पहले जमीम पर लग गई थी। बावने ने अपना पक्ष रखा और पवेलियन वापस जाने से इन्कार कर दिया। खेल 15 मिनट तक रुका रहा। मैच रेफरी अमित शर्मा और महाराष्ट्र के कोच सुलक्षण कुलकर्णी को मामले को शांत करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। रणजी में अंपायरिंग पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। बंगाल के पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी तो अंपायरों पर नशे में मैदान पर उतरने का भी आरोप लगा चुके हैं।
अंपायरों के उचित मूल्यांकन के बारे में क्या कहा जाए?
ईएसपीएनक्रिकइन्फो के अनुसार कुलकर्णी ने कहा, ” खिलाड़ियों को फटकार और जुर्माना लगाया जाता है, लेकिन अंपायरों के उचित मूल्यांकन के बारे में क्या कहा जाए? वही गलती करने वाले अंपायर क्यों लगातार अंपायरिंग करते रहते हैं और खेल बिगाड़ते रहते हैं? जब इस तरह की गलतियां होती हैं, तो गुस्सा जायज है। “
अंपायर चिंता का विषय हैं
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पूर्व खिलाड़ी मनोज तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया था, उन्होंने कहा था, “मेरे लिए अंपायरिंग मुख्य चिंता का विषय है। पूरा सम्मान करता हूं, लेकिप घरेलू क्रिकेट में अंपायरिंग का स्तर खराब है। बीसीसीआई को इस बारे में सोचना चाहिए कि वे अंपायरिंग में कैसे सुधार कर सकते हैं। यह एक या दो सीजन की बात नहीं है, बल्कि मैं पिछले कई सालों से यह देख रहा हूं। बड़ी गलतियां तो होती ही हैं साथ ही कुछ बचकानी गलतियां भी होती हैं।”
हैंगओवर पर मैदान पर उतरे अंपायर
मनोज तिवारी ने कहा, ” खिलाड़ियों को डोप टेस्ट तक से गुजरना पड़ता है। इसे घरेलू अंपायरों पर भी लागू किया जाना चाहिए। मैंने कई बार अंपायरों को हैंगओवर के बावजूद मैदान पर जाते देखा है। अंपायर नींद में दिखते हैं। ऐसी स्थिति में वह ठीक से काम कैसे कर सकते हैं?” मैंने पूछा, “सर कल रात में क्या लिए थे?” जवाब मिला, “मुझे व्हिस्की ऑन द रॉक्स ज्यादा पसंद है।” और वे हंस पड़े। बीसीसीआई को हर सीजन की शुरुआत से पहले हर अंपायर की सुनने और देखने की क्षमता की जांच करानी चाहिए। पूरा इंटरव्यू पढ़ने के लिए क्लिक करें।