भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) हाल ही में ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के पॉडकास्ट ‘In the Zone’ में गेस्ट बने। वहां उन्होंने अपने स्कूली जीवन से एक किस्सा शेयर किया, जिसे पहले कभी नहीं सुना गया था। अभिनव बिंद्रा ने राहुल द्रविड़ से उस समय के बारे में पूछा, जब उन्होंने स्कूल क्रिकेट में शतक लगाया था, लेकिन अखबार में उनका नाम गलत छप गया था। अखबार में राहुल द्रविड़ की जगह राहुल डेविड छपा था।
अभिनव बिंद्रा (Abinav Bindra) के सवाल पर राहुल द्रविड़ ने कहा, ‘अखबार के संपादक निश्चित तौर पर सोचा रहा होगा कि स्पेलिंग (वर्तनी) की गलती होगी। द्रविड़ जैसा कोई नहीं हो सकता, इसलिए यह डेविड होना चाहिए ना कि द्रविड़। क्योंकि यहां बहुत अधिक सामान्य नाम होते हैं, इसलिए, मुझे लगता है कि यह मेरे लिए भी एक अच्छा सबक था। ’
राहुल द्रविड़ ने बताया, ‘मैं स्कूल क्रिकेट में 100 रन बनाने के बाद वास्तव में बहुत खुश और उत्साहित था। हालांकि, वहीं दूसरी ओर, शतक लगाने के बावजूद अब तक मेरा कोई नाम भी नहीं जानता था। उन्हें मेरा नाम सुनने के बाद उसके सही होने का भरोसा नहीं किया। उन्हें लगा कि इसे बदलना होगा।’
बता दें कि राहुल द्रविड़ ने कुछ साल पहले यह बात शेयर की थी कि जब अभिनव बिंद्रा ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता तो कैसे उन्हें भारतीय निशानेबाज से प्रेरणा मिली थी और कैसे उन्हें अपने करियर को पुश करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
तब राहुल द्रविड़ ने कहा था, ‘साल 2008 में मैं खराब फॉर्म में चल रहा था। बल्ले से रन निकल नहीं रहे थे। मैं 30 के दशक में लय नहीं पा रहा था। यह (उम्र का यह पड़ाव) भारतीय क्रिकेट में एक अच्छा क्षेत्र नहीं है। मुझे खुद को उठाने की जरूरत थी, मैं चाहता था। मुझे पता था कि मुझमें कम से कम दो साल की क्रिकेट बाकी है।’
द्रविड़ ने कहा था, ‘उसी दौरान मैंने देखा कि अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग में ओलंपिक स्वर्ण पदक की ओर कदम बढ़ाया। मुझे आज भी वह क्षण याद है जो मैंने उस समय महसूस किया था। अभिनव की आत्मकथा पढ़ना मेरे लिए आकर्षक था। मुझे लगता है कि उत्कृष्टता की तलाश में किसी को भी उनकी कहानी पढ़नी चाहिए।’
उन्होंने कहा था, ‘अभिनव की उपलब्धि ने मुझे अपने करियर के साथ फिर से प्रोत्साहित किया। उनका नो-शॉर्टकट का फॉर्मूला, नो-एक्सक्यूज की अप्रोच एक ऐसी चीज है जिसकी हम सभी आकांक्षा कर सकते हैं, चाहे हम जो भी बड़े या छोटे कार्य करें।’