भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू ने शुक्रवार 8 नवंबर 2024 को कहा कि उनमें अब भी बहुत कुछ हासिल करने की क्षमता है। उनमें BWF सर्किट पर काफी खिताब जीतने की काबिलियत है, लेकिन उनकी निगाहें 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों पर लगी रहेंगी। हालांकि, अमेरिका में होने वाले ओलंपिक तक वह 33 साल की हो जाएंगी। पीवी सिंधु को पेरिस ओलंपिक से खाली हाथ (पदक नहीं जीत पाना) लौटने का मलाल नहीं है।
पेरिस ओलंपिक से जल्दी बाहर होने को लेकर पीवी सिंधु ने कहा कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है। पीवी सिंधु ने कहा, ‘क्योंकि, यह दुनिया का अंत नहीं है। मुझे कोई पछतावा नहीं है, यह मेरे लिए खत्म नहीं हुआ है। मैं निश्चित रूप से और अधिक खेलना चाहूंगी और क्यों नहीं?’ पीवी सिंधु ने बताया कि वह अब जापान और चीन में होने वाले अगले इवेंट पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, बस प्रशंसक जादू शुरू होने का इंतजार करें।
दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु ने कहा कि अगर वह चोट-मुक्त और शारीरिक रूप से फिट रहीं तो उनका लक्ष्य तीसरा ओलंपिक पदक जीतना होगा। पूर्व विश्व चैंपियन पीवी सिंधु ने 2016 रियो ओलंपिक में रजत और 2020 टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। वह प्री-क्वार्टर फाइनल में हारने के बाद पेरिस ओलंपिक से खाली हाथ लौटीं थीं।
अगर चोट मुक्त रही तो 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में खेलूंगी: पीवी सिंधु
हैदराबाद की 29 साल की पीवी सिंधु ने पीटीआई से कहा, ‘मैं इतना बता सकती हूं कि अगर मैं फिट हूं, अगर मैं ऐसा करने में सक्षम रहती हूं, अगर मैं चोट मुक्त हूं, तो निश्चित रूप से मैं लॉस एंजिल्स ओलंपिक में हिस्सा लूंगी।’ पीवी सिंधु ने महान खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण की देखरेख में बड़ी उम्मीदों के साथ पेरिस खेलों में प्रवेश किया था, लेकिन राउंड 16 में चीन की ही बिंग जियाओ से हारने के बाद बाहर हो गईं।
पीवी सिंधु ने कहा, ‘ऐसा कई बार होता है। मेरे दो ओलंपिक शानदार रहे। तीसरे में मैं पदक नहीं जीत पाई, लेकिन मुझे लगता है कि मैं अच्छा खेली। मैं गलतियों से सीखती हूं और मजबूत होकर वापसी करती हूं। यह सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता। मैं एक बार में एक साल के बारे में सोच रही हूं। अब अगला ओलंपिक 4 साल बाद है, इसलिये मेरा मुख्य लक्ष्य फिट बने रहने और चोटों से मुक्त रहने के साथ मोटिवेट होने का है और जो भी करूं उसका लुत्फ उठाने का है।’
समृद्ध विरासत छोड़ना चाहती हैं पीवी सिंधु
कॉमनवेल्थ गेम्स चैंपियन ने कहा, ‘हमेशा प्रयास करने के लिए और भी बहुत कुछ होता है। मैं और अधिक खिताब जीतना चाहती हूं और ज्यादा से ज्यादा बार पोडियम पर खड़ी होना चाहती हूं। अंततः एक ऐसी विरासत छोड़ना चाहती हूं जो भारतीय एथलीट्स की अगली पीढ़ी को प्रेरित करे। मैं अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने और अपने करियर में हर अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मैं और अधिक जीतना चाहती हूं और मेरे पास यह क्षमता है।’
पीवी सिंधु ने इसी कोशिश में अपने कोचिंग स्टाफ में कई बदलाव किए हैं। इस संबंध में पीवी सिंधु ने कहा, ‘कभी-कभी, जब आपको बदलाव की आवश्यकता होती है, तो आपको बदलाव की आवश्यकता होती है। मेरे पास अच्छे कोच, अच्छी सहायता प्रणाली रही है। मैं पार्क के बाद कुछ बदलाव चाहती थी। फिर मेरे पास कुछ ऐसे कोच थे और मुझे लगता है कि अभी ली और अनूप ही हैं। आपको वही करने की जरूरत है जो आपके लिए सबसे अच्छा हो।’
बस जादू शुरू होने का इंतजार करें: पीवी सिंधु
पीवी सिंधु अब जापान और चीन में होने वाले अगले इवेंट पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं अच्छी स्थिति में हूं। शारीरिक और मानसिक रूप से मैं फिट हूँ। हम अलग-अलग पहलुओं, स्पीड और डिफेंस पर काम कर रहे हैं। अलग-अलग कोचेस से नई चीजें सीखना हमेशा अच्छा होता है, जो आपके खेल में मदद करेगा। …तो यह वास्तव में अच्छा चल रहा है। मुझे उम्मीद है कि जापान और चीन में मैं उनके मार्गदर्शन में अच्छा प्रदर्शन करूंगी। …तो बस आप जादू शुरू होने का इंतजार करिये।’
खेल के कोर्ट पर अपनी प्रतिबद्धताओं के अलावा पीवी सिंधु ने विशाखापत्तनम में ‘पीवी सिंधु सेंटर फॉर बैडमिंटन एंड स्पोर्ट्स एक्सीलेंस’ भी लॉन्च किया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने यह जमीन पहले खरीदी थी, अकादमी को पूरी तरह से तैयार होने में डेढ़ साल लगेंगे। हमारा लक्ष्य अगली पीढ़ी के चैंपियंस को प्रेरित करना और उनको विकसित करना है। हमारा लक्ष्य विश्वस्तरीय स्पेशल्टी बनाना है, जहां युवा एथलीट तैयार हों, चाहे किसी भी पृष्ठभूमि के हों।’