संसदीय स्थायी समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से धन जुटाने में निष्क्रियता के लिए खेल मंत्रालय को फटकार लगाई है और कहा है कि इसके कारण खिलाड़ियों की सहायता के लिए पर्याप्त धन नहीं जुटाया जा सका। मानव संसाधन विकास पर संसदीय स्थायी समिति ने ‘राष्ट्रीय खेल विकास निधि (एनएसडीएफ) का निष्पादन और खिलाड़ियों की भर्ती और पदोन्नति’ पर अपनी 271वीं रिपोर्ट में नाराजगी जताई कि खेल मंत्रालय ने उसके पूर्व के निर्देशों का पालन नहीं किया।

भारतीय जनता पार्टी के राज्य सभा सदस्य सत्यनारायण जटिया के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार- पता चला है कि केंद्र की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (सीपीएसयू) को एनएसडीएफ के अस्तित्व की पर्याप्त जानकारी नहीं है और वे अधिकतर एनएसडीएफ को कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) से जोड़कर देखते हैं। समिति इसलिए खेल मंत्रालय के साथ भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को भी निर्देश देती है कि सभी सीपीएसयू को एनएसडीएफ और सीएसआर के अंतर्गत उनकी भूमिका के अंतर के बारे में शिक्षित किया जाए जिससे कि बिना किसी विलंब के एनएसडीएफ के लिए कोष जुटाया जा सके।

रिपोर्ट मे कहा गया है कि समिति को यह जानकर दुख पहुंचा है कि इसी विषय पर उसकी पिछली रिपोर्टों में भी इस मुद्दे को उठाया गया था। हालांकि ऐसा लगता है कि इस संंबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया और जहां तक सीपीएसयू में एनएसडीएफ को लेकर जागरूकता का सवाल है तो अब तक भी यह बेहद कम है जिससे एनएसडीएफ का उद्देश्य खत्म हो रहा है और खेल मंत्रालय-साइ इसे लोकप्रिय करने में नाकामी के कारण अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन में विफलता के जिम्मेदार हैं। एनएसडीएफ का गठन खेल को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों को शानदार प्रदर्शन करने में मदद करने, खेलों में अच्छे प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए जरू री बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव के इरादे से सरकारी और गैर सरकारी संगठनों से कोष जुटाने के लिए 1998 में किया गया था।

इसके तहत देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र से कोष लेने की स्वीकृति है और इस कोष में किए सभी योगदान पर आयकर से शत फीसद छूट मिलती है। समिति ने साई के सोनीपत केंद्र में कुश्ती और मुक्केबाजी की सुविधाओं के लिए सरकार की सराहना की लेकिन उसका मानना है कि अन्य खेलों में भी ऐसा ही शानदार प्रदर्शन दोहराने की जरू रत है। समिति ने कहा कि समिति को लगता है कि एथलेटिक्स ट्रैक और हाकी टर्फ में सुधार और नवीनतम तकनीक व खेल सुविधाओं के साथ इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के बराबर लाने की जरू रत है।

समिति ने एनआइएस पटियाला के संबंध में सिफारिश की कि साइ को अगले साल के ओलंपिक खेलों को देखते हुए संस्थान को खिलाड़ियों की ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की खरीद के लिए अधिक कोष मुहैया कराना चाहिए। समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की लेकिन इनमें ठोस खेल नीति के अभाव पर नाखुशी भी जताई। समिति ने साथ ही कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में खिलाड़ियों की भर्ती कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के दिशानिर्देशों के अनुसार होनी चाहिए जिसके तहत मौजूदा रिक्तियों में पांच फीसद तक के आरक्षण का प्रावधान है।

समिति ने डीओपीटी को निर्देश दिया कि वह खिलाड़ियों की भर्ती के दिशानिर्देशों में जरू री संशोधन करे जिससे कि रिक्तियों में खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य पांच फीसद कोटा को भरा जाए। समिति ने खेल मंत्रालय को बीते जमाने के उन असाधारण खिलाड़ियों का डाटाबेस तैयार करने को कहा जो अब काफी खराब हालत में जीवन जी रहे हैं। समिति ने साथ ही सभी हितधारकों से अपील की कि वे सुनिश्चित करेंगे कि भारतीय खिलाड़ी रियो खेलों में अच्छा प्रदर्शन करें।

समिति ने कहा कि पिछले ओलंपिक में भारतीय दल का प्रदर्शन अधिकांश तौर पर विफलता से भरा था। सिर्फ इतना सवाल था कि कब और कहां हमारे खिलाड़ी विफल रहे। हर बार की तरह दोषारोपण हुआ जहां संबंधित लोगों के बीच आरोप प्रत्यारोप लगे जिन्होंने कोई भी जिम्मेदारी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। सबसे पहले यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या टीम या खिलाड़ी खराब प्रशिक्षण, अनुभव की कमी या सुविधाओं की कमी के कारण तो उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल नहीं रहा। पिछले ओलंपिक खेलों में भारतीय दल के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए समिति उम्मीद करती है कि खिलाड़ी ओलंपिक के दबाव को झेलें और कमतर प्रदर्शन नहीं करें।