ओलंपिक और विश्व कप पदक विजेता टीम का हिस्सा रहे हॉकी खिलाड़ी वरिंदर सिंह का मंगलवार सुबह जालंधर में निधन हो गया। वर्ष 1970 के दशक में भारत की कई यादगार जीत का हिस्सा रहे वरिंदर 75 साल के थे। वरिंदर 1975 में कुआलालंपुर में पुरुष हॉकी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। यह इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारत का अब तक का एकमात्र स्वर्ण पदक है।
भारत ने तब फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2-1 से हराया था। वरिंदर 1972 म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक और एम्सटरडम में 1973 विश्व कप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। वरिंदर की मौजूदगी वाली टीम ने 1974 और 1978 एशियाई खेलों में भी रजत पदक जीता। वह 1975 मांट्रियल ओलंपिक में भी भारतीय टीम में शामिल थे।
वरिंदर को 2007 में प्रतिष्ठित ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी नवाजा गया था। हॉकी इंडिया ने वरिंदर के निधन पर शोक जताया है। हॉकी इंडिया ने विज्ञप्ति में कहा, ‘‘वरिंदर सिंह की उपलब्धि को दुनिया भर का हॉकी समुदाय याद रखेगा।’’ हॉकी इंडिया ने ट्वीट करके कहा, “महान हॉकी खिलाड़ी श्री वरिंदर सिंह के निधन पर हम ईश्वर से दिवंगत व्यक्ति की आत्मा को शांति और परिवार के सदस्यों को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।”
उन्होंने कहा, “भारतीय हॉकी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और योगदान के लिए हम श्री वरिंदर सिंह के आभारी हैं।” सुरजीत हॉकी अकादमी जालंधर के कोच अवतार सिंह ने कहा, “यह भारतीय हॉकी के साथ-साथ पंजाब हॉकी के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है। 1970 के दशक में कृष्णमूर्ति पेरुमल के साथ वरिंदर सिंह देश के सर्वश्रेष्ठ राइट-हाफ में से एक थे।”
अवतार सिंह ने आगे कहा, ” संन्यास लेने के बाद, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वह कोचिंग के माध्यम से खेल से जुड़े रहें। आठ साल से अधिक समय तक पंजाब एंड सिंध बैंक हॉकी टीम को कोचिंग देने के बाद, उन्होंने 2008 से पंजाब खेल विभाग के साथ कोच के रूप में काम किया और पिछले साल एक निजी अकादमी से जुड़े थे।