चेहरे पर प्यारी मुस्कान, आंखों में गर्व की चमक और फैंस के सामने हाथ जोड़े खड़े सुनील छेत्री। सालों से यह तस्वीर भारतीय फुटबॉल की नींव है। लगभग दो दशक से टीम इंडिया की स्कोरशीट में सुनील छेत्री का नाम नजर आता रहा। स्टेडियम में 11 नंबर की जर्सी पहने फैंस का हुजूम नजर आता रहा और नजर आता रहा भारत में फुटबॉल के लिए बढ़ता प्यार। पर अब यह सब नहीं होगा, अब सुनील छेत्री कभी नीली जर्सी में नहीं दिखेंगे, अब छेत्री डिफेंडर्स को छकाते नहीं दिखेंगे, अब छेत्री भारतीय फुटबॉल टीम के साथ वाइकिंग क्लैप करते नहीं दिखेंगे। सुनील छेत्री ने छह जून को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया।
2005 में हुई सफर की शुरुआत
छेत्री को फुटबॉल विरासत में मिली। उनके मां-बाप दोनों ही फुटबॉलर थे। ऐसे में छेत्री और फुटबॉल का रिश्ता मां की कोख में रहते हुए कायम हो गया था। सुनील छेत्री ने साल 2005 में भारतीय टीम के लिए अपना पहला मैच खेला। सुनील छेत्री के शब्दों में कहें तो वह यह दिन आज भी नहीं भूलते। उन्हें उस पल महसूस की हुई खुशी आज भी याद है। छेत्री ने अपने डेब्यू मैच की 80वें मिनट में गोल किया। 20 साल के छेत्री के गोल के कारण मैच 1-1 से ड्रॉ हुई। जब छेत्री टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया तब बाईचुंग भूटिया सबसे बड़े स्टार थे। जैसे-जैसे भूटिया का संन्यास का समय करीब आया सुनील छेत्री चमकने लगे। वह स्ट्राइकर से लेकर कप्तानी में भूटिया के उत्तराधिकारी बन गए।
खाली स्टेडियम देख निराश हो गए थे सुनील छेत्री
सुनील छेत्री का 19 साल का करियर उनके लिए जिम्मेदारी, दबाव और गर्व का मिश्रण रहा। साल 2018 के कॉन्टिनेंटल कप में भारतीय टीम को ताइवान के खिलाफ 0-5 से हार मिली थी। इस हार के साथ-साथ खाली स्टेडियम ने छेत्री को निराश किया। छेत्री को इस बात का अंदाजा हो रहा था कि भारतीय फुटबॉल के फैंस टीम से दूर हो रहे हैं। न तो स्टेडियम में भरे स्टैंड्स नजर आते हैं और न ही सोशल मीडिया पर टीम को प्यार मिलता है। छेत्री ने इसके बाद वह किया जिसने भारतीय फैंस को एक बार फिर से इस खेल से प्यार करना सीखा दिया।
वायरल हुआ छेत्री का ट्वीट
ताइवान के खिलाफ मैच के बाद सुनील छेत्री ने एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया। इस वीडियो में हाथ जोड़कर फैंस से उन्हें और उनकी टीम को स्टेडियम में आकर देखने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘आप सभी के लिये जिन्होंने भारतीय फुटबॉल से उम्मीदें छोड़ दी हैं, हम अनुरोध करते हैं कि मैदान पर हमें खेलते देखने के लिये आएं। स्टेडियम आकर हमारे मुंह पर हमें गालियां दीजिये, हो सकता है कि एक दिन हमारे बारे में आपकी राय बदल जाये और आप हमारे लिये तालियां बजाने लगे। आपका समर्थन हमारे लिये बहुत जरूरी है.’
छेत्री का 100वां मैच बना यादगार
इसके बाद अगले मैच में स्टेडियम खचाखचा भरा नजर आया। पूरा स्टेडियम नीले रंग में रग गया। यह छेत्री के करियर का 100वां मैच भी था। टीम इंडिया ने फैंस को निराश नहीं किया। भारत ने इस मैच में केन्या को 3-0 से मात दी। सिर्फ इतना ही नहीं भारत ने यह टूर्नामेंट (इंटरकॉन्टिनेंटल कप) भी अपने नाम किया। इसके बाद शुरू हुआ टीम इंडिया, फैंस और वाइकिंग क्लैप का सिलसिला। सिर्फ घर पर ही नहीं भारतीय टीम जब विदेश खेलने जाती थी तो स्टेडियम भारतीय फैंस से भर जाता था। एयरपोर्ट से लेकर होटल के बाहर तक फैंस तिरंगा लिए खड़े दिखाई देते थे। 11 नंबर की जर्सी वाले सुनील छेत्री ने परफेक्ट 10 वाला काम करके दिखाया।
39 साल की उम्र में भी भारतीय टीम के सबसे बड़े स्टार रहे छेत्री
छेत्री के लिए उस खेल से दूर होना आसान नहीं है जिसने उन्हें इतना कुछ दिया हो। उन्होंने संन्यास का ऐलान तब किया जब उन्हें यह लगा कि अब वह मानसिक तौर पर और खेलने के लिए तैयार नहीं है। 39 साल की उम्र में भी सुनील टीम के सबसे फिट खिलाड़ी थे, वह फॉर्म में थे, टीम के लिए लगातार गोल कर रहे थे। कोई भी यह नहीं कह सकता कि छेत्री का करियर ढलान पर था। लेकिन छेत्री ने हमेशा की तरह अपने दिल की सुनी और इस खेल को अलविदा कह दिया।
जुबान से नहीं आंसू से सब बयां कर गए छेत्री
छह जून को सुनील छेत्री अपने 151वीं बार मैदान पर उतरे। वह इस मैच में गोल नहीं कर सके और न ही टीम कुवैत के खिलाफ फीफा वर्ल्ड कप क्वालिफायर मैच में जीत हासिल कर सकी। कई खेल सितारों की तरह छेत्री के करियर को भी परीकथा जैसा अंत नहीं मिला। मैच खत्म होने के बाद छेत्री शुक्रिया के अलावा कुछ नहीं कह सके लेकिन उनकी आंखों के आंसू 19 साल की कहानी बयां कर गए। छेत्री जर्सी को छोड़कर अब सूट पहनकर टीम इंडिया को चीयर करेंगे। मैदान की जगह स्टैंड्स और कमेंट्री बॉक्स में दिखेंगे लेकिन फैंस के लिए छेत्री हमेशा भारतीय फुटबॉल संज्ञा के सबसे बेहतरीन विशेषण रहेंगे।