दो बार के ओलंपिक पदकधारी सुशील कुमार का लगातार चौथे ओलंपिक में खेलने पर संशय के बादल छाए हुए हैं लेकिन अगर नरसिंह पंचम यादव के खिलाफ ट्रायल कराने की उनकी मांग भारतीय कुश्ती महासंघ ने नहीं स्वीकार की तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाने में हिचकेंगे नहीं। सुशील यह मामला प्रधानमंत्री के दफ्तर तक ले जा चुके हैं लेकिन सरकार से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। सुशील के मेंटर सतपाल सिंह ने कहा कि हम अब भी जवाब का इंतजार कर रहे हैं। सुशील ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक के लिए पूछा है और हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार सुशील की अपील का जवाब देगी। उन्होंने कहा कि सुशील ट्रायल के लिए बुलाए जाने की उम्मीद कर रहा है और अदालत नहीं जाना चाहता। लेकिन अगर यह मामला नहीं निपटता है तो अदालत जाने के विकल्प को नकारा नहीं जा सकता। सुशील ने प्रधानमंत्री, आइओए, खेल मंत्रालय, भारतीय कुश्ती महासंघ और प्रशंसकों से अपील की है कि उन्हें रियो खेलों के लिए ट्रायल खेलने का मौका दिया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनसे मुलाकात के लिए और खेल मंत्रालय, आइओए और डब्लूएफआइ से आग्रह करने के लिए पत्र भेजने के अलावा सुशील ने हैशटैग ‘जस्टिस4सुशील’ से वीडियो संदेश भी अपलोड किया है जिसमें उन्होंने अपने फेसबुक और ट्विटर पेज पर प्रशंसकों से उनका समर्थन करने के लिए अपील की है कि पुरुष 74 किग्रा फ्रीस्टाइल में नरसिंह के साथ उनका ट्रायल कराया जाए।
सुशील ने शनिवार (14 मई) को एक और वीडियो डाली है जिसमें वे कड़ी ट्रेनिंग करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसमें संदेश लिखा है, ‘यहां तक कि इस अनिश्चितता में भी, मैं कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हट रहा हूं। फैसला आपका है। पिछले दो दिन में प्रशंसकों से उन्हें काफी प्रतिक्रियाएं मिली हैं। नियमों के अनुसार कोटा देश का होता है, किसी एक विशेष पहलवान का नहीं’।
उधर, भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्लूएफआइ) ने इस साल के ओलंपिक खेलों के लिए सुशील कुमार और नरसिंह पंचम यादव में से किसी एक के चयन के लिए ट्रायल कराने की जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी और कहा कि महासंघ इस संवेदनशील मसले पर अकेला फैसला नहीं कर सकता है। महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि महासंघ 74 किग्रा भार वर्ग में ट्रायल कराने के संबंध में सरकार के निर्देश का इंतजार करेगा। उन्होंने कहा कि सुशील ने खेल मंत्रालय को लिख दिया है और इसलिए अब यह मसला महासंघ के हाथ में नहीं है। इसलिए हम अब ट्रायल मसले पर सरकार के निर्देशों का इंतजार करेंगे।
महासंघ अध्यक्ष ने कहा कि यह संवेदनशील मसला है और मैं अकेला फैसला नहीं कर सकता। जब हमें सरकार से निर्देश मिल जाएंगे हम फैसला करेंगे। किसी भी मामले में डब्लूएफआइ मामला चयन समिति के पास भेजेगी जिसमें ओलंपियन, अर्जुन पुरस्कार विजेता, मुख्य कोच और महासचिव भी शामिल हैं। इसके बाद समिति ही फैसला करेगी। अभी कुछ भी कयास लगाने का अधिकार मुझे नहीं है। इसके लिए प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
बृजभूषण से उनकी निजी राय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत में चलन रहा है कि कोटा हासिल करने वाले पहलवान को ओलंपिक भेजा जाए। हालांकि कोटा देश के लिए होता है लेकिन कोटा हासिल करने वाले को भेजने का चलन रहा है। इस पेचीदा संकट को सुलझाने के लिए महासंघ के मंगलवार को बैठक करने की उम्मीद है। ऐसी भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि महासंघ पुरुष 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में ट्रायल नहीं कराए क्योंकि इससे कुछ अन्य पहलवान भी अन्य वजन वर्गों में ट्रायल की मांग करेंगे।
