निश्चित रूप से खेल के क्षेत्र में आधुनिकीकरण और मानकीकरण एक अधिक जटिल और व्यापक प्रक्रिया है। जहां तक भारत का प्रश्न है, यह समझना जरूरी है कि भारतीय इतिहास ऐसी अनेक कलाओं-क्रीड़ाओं से भरा पड़ा है जो भारत के चरितार्थ सांस्कृतिक विशेषता को जीवंत करते हैं।आज इन्हीं कलाओं को वैधता पाने के लिए, अपना अस्तित्व खोकर, आधुनिकतावादी मानदंडों के साथ अनुकूलन करना पड़ रहा है। अन्यथा, उन्हें अतीव तिरस्कार की दृष्टि से देखा जाने लगा है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि प्राचीनता, स्थानीयता या पारंपरिकता का आधुनिकीकरण और नवीनीकरण से कोई अनिवार्य विरोध है। दोनों ही एक स्तर पर अपनी तरह रचनात्मक हैं। इसका तात्पर्य केवल इतना है कि दोनों के संबंध का गहन विश्लेषण आवश्यक है।
इसी के साथ मूल प्राचीन और ऐतिहासिक क्रीड़ा, कला और कौशल का पुनरुद्धार और पुराने और नए के बीच समन्वय और सामंजस्य भी एक नितांत अनिवार्यता है।
खेलों की नई-पुरानी दुनिया
निश्चित रूप से खेल के क्षेत्र में आधुनिकीकरण और मानकीकरण एक अधिक जटिल और व्यापक प्रक्रिया है।
Written by जनसत्ता
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First published on: 04-10-2021 at 00:06 IST