मनीष कुमार जोशी

कोविड का असर पूरी दुनिया में अब बहुत कम हो गया है। कोविड प्रतिबंध भी हट रहा है। फिर भी कुछ देश एहतियात बरत रहे हैं। अमेरिका ऐसे ही देशों में से एक है, जहां अभी तक कोविड को लेकर सतर्कता है। ऐसे में इसका असर खेलों पर भी पड़ा है। खासकर टेनिस में जहां नंबर एक खिलाड़ी नोवाक जोकोविच के कारण एक बार फिर समस्या खड़ी हो गई है।

आस्ट्रेलिया ओपन में भी टीकाकरण के कारण खेलने की अनुमति नही मिली थी

यह सब जानते हैं कि जोकोविच ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कोविड का टीका नहीं लगवाया है। इस कारण वे कई महत्त्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में नहीं खेल पाए हैं। आस्ट्रेलिया ओपन में भी टीकाकरण के कारण खेलने की अनुमति नही मिली थी। हाल ही में अमेरिका में होने वाली ‘इंडियन वेल्स टूर्नामेंट’ में टीका नहीं लगवाने के कारण जोकोविच को एनवक्त पर हटना पड़ा। ‘इंडियन वेल्स टूर्नामेंट’ से इसी कारण हटने से जोकोविच फिर बहस का विषय बन गए हैं। जोकोविच के लिए टीका न लगवाना किसी टूर्नामेंट में भाग लेने से भी बड़ा हो गया है। उन्होंने इसके लिए अपना करिअर दांव पर लगा दिया है।

अंतिम समय पर जोकोविच को वापस लेना पड़ा अपना नाम

अमेरिका में हो रही ‘इंडियन वेल्स टेनिस’ किसी भी टेनिस खिलाड़ी के लिए महत्त्वपूर्ण होती है। जोकोविच छठी बार चैंपियन बनने के लिए खेलने वाले थे। इसके लिए उन्होंने अमेरिका से विशेष अनुमति मांगी थी। ‘इंडियन वेल्स टूर्नामेंट’ के पदाधिकारियों को भी उम्मीद थी कि उन्हें अनुमति मिल जाएगी। अमेरिका में एक प्रस्ताव अनुसार मई, 2023 से प्रतिबंधों में ढील दी जानी है। इसी को आधार मानकर विषेष अनुमति मांगी गई थी। अंतिम समय पर जोकोविच को अपना नाम वापस लेना पड़ा।

इसके साथ ही एक वर्ग ने जोकोविच के टीका न लगवाने को लेकर आलोचना शुरू कर दी, वहीं दूसरे वर्ग ने इसके लिए छूट दिए जाने की वकालत की। एक वर्ग लगातार कह रहा है कि जब दुनिया के सभी खिलाड़ी टीका लगवा चुके हैं तो जोकोविच क्यों जिद कर रहे हैं। यह सच है कि टीका नहीं लगवाने के कारण जोकोविच ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।

जोकोविच को कहना है कि वे टीके के विरोधी नही है परंतु यह नहीं बताते है कि वे लगवाते क्यों नहीं हैं। उनका कहना है कि टीका लगवाना व्यक्तिगत मामला है और इसे संबंधित व्यक्ति पर छोड़ा जाना चाहिए। वे इसे एक व्यक्ति के मूलभूत अधिकार का मामला बताते हैं। जोकोविच टेनिस की दुनिया के अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं है जो अपने करिअर को दांव पर लगा कर अपनी बात पर अड़े रहे। इससे पहले जान मैकेनरो भी ऐसे ही जिद्दी खिलाड़ी थे।

मैकेनरो गुस्सैल भी थे। वे कोर्ट में हर छोटी बात पर गुस्सा हो जाते थे। इस कारण कई बार उन पर जुर्माना लग जाता था। कभी उन पर प्रतिबंध लग जाता, परंतु उन्होंने अपने गुस्से का स्वभाव कभी नहीं छोड़ा। मैकेनरो ने अंपायर को विम्बलडन के दौरान मूर्ख कह दिया। इसके बाद वे विम्बलडन का खिताब जीत गए। विम्बलडन विजेता को सीधे आल इंग्लैंड क्लब की सदस्यता मिलती है। लेकिन उनके व्यवहार के कारण यह सदस्यता उन्हें नहीं दी गई।

इसी तरह से लोकप्रिय टेनिस खिलाड़ी आंद्रे अगासी भी चर्चा में रहे । 1997 में आंद्रे अगासी नशीली दवा के मामले में पकड़े गए। उन्होंने कहा कि गलती से उन्होंने इसका सेवन किया और बच गए। मार्टिना नवरोतिलोवा ने चेकोस्लोवाकिया में अपना टेनिस करिअर शुरू किया। 1985 तक वे चेकोस्लोवाकिया से ही फेडरेशन कप खेलती थीं। अपने देश की सरकार से अनबन होने पर उन्होने चेकोस्लोवाकिया की नागरिकता छोड़ दी और अमेरिकी नागरिक बन गईं। 2008 में वे फिर चेकोस्लोवाकिया की नागरिक बन गईं। उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया जबकि इसके लिए अपना करिअर दांव पर लगा दिया।