चरनपाल सिंह सोबती

क्रिकेट के रेकार्ड में दिलचस्पी रखने वाले अक्सर ऐसे कीर्तिमानों की सूची भी बनाते रहते हैं जो ’अमानवीय’ कहे जाते हैं- जिन्हें शायद कभी कोई तोड़ नहीं पाएगा। इसी में, टैस्ट क्रिकेट में, डान ब्रैडमैन की बल्लेबाजी की 99.94 का औसत और ब्रायन लारा के 401* के स्कोर का जिक्र किया जाता है। ऐसे रेकार्ड कई हैं। बहरहाल कुछ दिनों में, बल्लेबाजों ने जिस तरह का जोश दिखाया है और ऐसे ही पहुंच से दूर लग रहे रेकार्ड तोड़े हैं, उससे एक नया सवाल सामने आ गया है- क्या ऐसे में कोई रेकार्ड बचेगा? देखिए :-

एकदिवसीय का पहला 500 असंभव नहीं

हाल ही में एम्सटेलवीन में इंग्लैंड की टीम एकदिवसीय में 500 रन बनाने वाली पहली टीम बनने के बहुत करीब थी। जोश में शायद कुछ कमी रह गई और रेकार्ड नहीं बना पर वे 498-4 पर पहुंचे जो एकदिवसीय या 50 ओवर क्रिकेट में नया सबसे बड़े स्कोर का रेकार्ड है। एक समय था जब 300 का स्कोर चुनौती लगता था- अब तो उस दिन का इंतजार है जब 500 रन बनेंगे।

2016 में, इंग्लैंड ने पाकिस्तान के विरुद्ध 443-3 बनाए। दो साल बाद, उन्होंने आॅस्ट्रेलिया के विरुद्ध 481-6 बनाए। ये दोनों मैच ट्रेंट ब्रिज में थे। ये वास्तव में, न्यूजीलैंड के कुछ बुटीक ग्राउंड की तरह- 500 रन के लक्ष्य के लिए बिल्कुल सही ग्राउंड है। ये स्कोर बन सकता है- भले ही एक, या संभवत: दो, गेंदबाज सम्मानजनक प्रदर्शन करें- आखिरकार, एश्टन एगर ने भी तब 10 ओवरों में सिर्फ 70 रन दिए थे जब इंग्लैंड ने 481-6 बनाए थे।

अब नियम भी मदद करने वाले हो गए हैं

फील्डिंग टीम, 30 गज के घेरे के बाहर, आख़िरी 10 ओवरों के लिए सिर्फ 5 क्षेत्ररक्षक पहले 10 ओवर में सिर्फ 2 क्षेत्ररक्षक 11 वें से 40 वें ओवर में 4 क्षेत्ररक्षक खड़े कर सकती है। इसी तरह हर एकदिवसीय पारी में दो नई गेंद का इस्तेमाल (इससे रन रोकने वाले स्पिनर बेकार हो गए और रिवर्स स्विंग तो मानो गायब ही हो गई) भी इसके लिए जिम्मेदार है। अब बल्लेबाज किसी टी 20 की तरह, पारी को तेजी दे सकते हैं।

एक टी 20 में 300 का स्कोर

क्रिकेट को विज्ञान से जोड़ने वाले कंप्यूटर साफ्टवेयर का कहना है कि आउट होने के डर के बिना, बल्लेबाज 12.2 रन प्रति ओवर की तेजी से रन बना सकते हैं- इसमें फ्री हिट से मिलने वाला फायदा शामिल है। इस हिसाब से 20 ओवरों में कुल 244 रन। इसकी तुलना में 300 रन विशाल स्कोर है और इसके लिए प्रति ओवर 15 रन की जरूरत है।

एक दिवसीय की तुलना में टी 20 में नियम बहुत मददगार नहीं हैं। यहां फील्डिंग टीम को 20 ओवरों में से 14 के लिए 30 गज के घेरे के बाहर पांच क्षेत्ररक्षकों की इजाजत है। साथ में कम ओवरों का मतलब है कि अगर एक गेंदबाज भी पिटाई से बच गया तो बाकी के गेंदबाज के विरुद्ध 16-17 प्रति ओवर बनाने होंगे।

एक चेतावनी सामने है

2019 की शुरुआत से अब तक 350 से ज्यादा एकदिवसीय हो चुके हैं। इसी अवधि में 920 से ज्यादा टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैच हुए और कुल 3700 से ज्यादा टी 20 मैच खेले गए हैं। इस बड़ी गिनती की एक वजह ये भी है कि आइसीसी ने अपने सभी एसोशिएट सदस्य देशों को भी 2020 में टी 20 के लिए अंतरराष्ट्रीय दर्जा दे दिया। इससे दुनिया भर में खेल को बढ़ावा देने में मदद मिली लेकिन नए-नए रिकॉर्ड बनने की संभावना भी बढ़ी।

टी 20 में दोहरा शतक

15 साल में, आइपीएल में रायल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए क्रिस गेल का 175* का स्कोर अब तक का सबसे बड़ा स्कोर है। गेल 66 गेंद खेले यानी कि 20 में से 11 ओवर और 17 छक्के तथा 13 चौके लगाए और ये सभी गिनती इस बात का सबूत हैं कि दोहरा शतक एवरेस्ट है पर चढ़ाई कर इसे जीत सकते हैं। 200 के स्कोर का मतलब है- एक बल्लेबाज को 70 गेंदों में 285 के स्ट्राइक रेट से रन बनाने होंगे, जो गेल के स्ट्राइक रेट से 20 ज्यादा है। ये भी कह सकते हैं- 70 गेंदों का सामना करने वाले बल्लेबाज को 20 छक्के लगाने होंगे अर्थात हर साढ़े तीन गेंद पर एक और 50 गेंदों में 10 से 12 चौके, 200 तक पहुंचने में मदद करेंगे । ये असंभव नहीं है।

चौथी पारी में 500 बनाकर भी टैस्ट जीतना

चौथी पारी में, सबसे ज्यादा रन बनाकर, टेस्ट जीतने का रेकार्ड बहुत धीरे-धीरे बढ़ा है। 1948 में हेडिंग्ले में आॅस्ट्रेलिया के 404-3 आगे के लिए कभी न बनने वाले लगे। वहां से, 418-7 के मौजूदा रेकार्ड (वेस्टइंडीज द्वारा आॅस्ट्रेलिया के विरुद्ध 2003 में) तक पहुंच गए। फिर भी, सही हालात में, बड़े लक्ष्य का पीछा करना कुछ आसान सा लगा है। 20 सालों में चौथी पारी के ऐसे 13 बड़े स्कोर में से नौ बने हैं- पांच सालों में चार स्कोर।

ये रेकार्ड इस बात का संकेत है कि विकेट खराब न हो तो 400 के स्कोर का पीछा करना कोई मुश्किल नहीं। भारत के विरुद्ध इंग्लैंड की एजबेस्टन में जीत यही तो बताती है। वे आख़िरी दिन लंच से पहले सिर्फ 76.4 ओवर में तीन विकेट पर 378 पर पहुंच गए। जीत पूरी होने तक मैच में 78.2 ओवर बाकी थे। जानी बेयरस्टो और जो रूट ने इंग्लैंड को आसानी से 378 रनों का पीछा करने में मदद की। अगर लक्ष्य 500 भी होता तो इंग्लैंड को 122 रन और बनाने थे और इसके लिए सब कुछ था एजबेस्टन में उस दिन।