टोक्यो ओलंपिक में भारत के जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था। ओलंपिक के 121 साल के इतिहास में पहली बार भारत को ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में मेडल मिला था। यही कारण है कि आज लगभग एक महीने के बाद भी इस मेडल की खुशी कम नहीं हुई है और शायद अभी भी ये खुशी ऐसी ही बरकरार रहेगी।
इस मेडल की जीत के बाद नीरज चोपड़ा ने कई इंटरव्यू दिए लेकिन हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस के प्रोग्राम एक्सप्रेस ई-अड्डा में उन्होंने जैवलिन में अपनी शुरुआत की कहानी बयां करी है।
भारत के गोल्डेन ब्वॉय ने बताया कि देश में जैवलिन की एक भी एकेडमी ना तब थी जब मैंने ट्रेनिंग शुरू की थी और ना ही अब है। मैंने फोन में वीडियो देखकर जैवलिन थ्रो करना सीखा।
नीरज ने बताया कि,’उस वक्त इंटरनेट वगैरह ज्यादा अच्छा नहीं था ना ही यूट्यूब पर कुछ देखना आसानी से संभव था। इसलिए मैं अपने फोन में जैन जेलेजनी के ज्यादातर वीडियो रखता था। उन्हें देखकर ही मैंने जैवलिन थ्रो करना सीखा। मैं लकी हूं कि मुझे शुरुआत में अच्छा ग्रुप मिला जिससे मुझे बहुत मदद मिली।’
उन्होंने कहा कि,’नया स्पोर्ट था कुछ आगे का पता नहीं था। लेकिन मैंने पूरे मन से दिल लगाके ट्रेनिंग की। धीरे-धीरे जब ट्रेनिंग जारी रखी तब तकनीक सीखना शुरू की। आज भी मैं सीख रहा हूं । पूरे करियर में कुछ ना कुछ नया सीखता रहूंगा।’
देश में जैवलिन की एक भी एकेडमी नहीं
नीरज चोपड़ा ने आगे कहा कि,’देश में जैवलिन की एक भी एकेडमी नहीं है। मुझसे कोई बच्चा पूछता है कि मैं कहां जाऊं सीखने तो मेरे पास जवाब नहीं होता है। लोगों को प्रैक्टिस और ट्रेनिंग की जगह नहीं मिल पाती है।’
उन्होंने आगे कहा कि,’हम प्लान कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि देश में जैवलिन के लिए अलग से कोई एकेडमी बनें। इसके लिए हम सीनियर्स से बात करेंगे जो चाहते हैं जैवलिन के लिए कुछ करना। वे आगे आएं और इस तरह से देश के युवाओं को जैवलिन के लिए कोई एकेडमी या एसोसिएशन मिले जिसके तहत वे तैयारी कर सकें।’
गौरतलब है कि नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में नायब सूबेदार भी हैं। इसके अलावा उन्होंने एथलेटिक्स की दुनिया में भी भारत को ओलंपिक गोल्ड दिलाकर अपना नाम ऊंचा कर लिया है। अब उम्मीद है नीरज अपने इसी प्रदर्शन को जारी रखें और 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत की इस स्वर्णिम जीत को दोहराएं।