पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने मंगलवार को बीसीसीआइ से भारत में जूनियर क्रिकेट के लिए खाका तैयार करने की अपील की और कहा कि खेल के विकास के लिए जूनियर स्तर पर उम्र में धोखाधड़ी और अवैध गेंदबाजी एक्शन से निजात पाना बेहद जरू री है। द्रविड़ ने कहा कि जब मैंने सुना कि अंडर-19 गेंदबाज की संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन के लिए रिपोर्ट की गई है तो मैं इससे बहुत निराश हुआ। उसके उस उम्र तक पहुंचने तक कोच क्या कर रहे थे। क्या उसके गलत एक्शन की शुरुआत दस वर्ष की उम्र से हुई थी। क्या उसके आगे के प्रशिक्षकों ने इसे नजरअंदाज किया क्योंकि वह विकेट ले रहा था और मैच जीत रहा था। उन्होंने कहा कि जब 19 साल की उम्र में एक कड़ी मेहनत करने वाले लड़के, जो जूनियर विश्व कप में खेल सकता है, की संदिग्ध एक्शन के लिए रिपोर्ट की जाती है तो वह अपने एक्शन में सुधार के लिए चला जाता है। शार्ट कर्ट से हासिल किए गए इन अल्प अवधि के लक्ष्यों के कारण बच्चा आहत होता है कि क्यों हम वयस्क उससे आंख फेर देते हैं।
द्रविड़ ने चौथे एमएके पटौदी मेमोरियल लेक्चर में कहा कि इसी तरह से अल्प अवधि के परिणामों पर जोर देने के कारण जूनियर स्तर के मैचों में अधिक उम्र के खिलाड़ी खेलते हैं। यह पूरी प्रक्रिया तब शुरू होती है जब एक कोच खिलाड़ी की जन्मतिथि को बदलकर उसे स्थानीय टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति देता है। द्रविड़ ने कहा कि सचाई यह है कि जो खिलाड़ी अपनी उम्र में धोखाधड़ी करता है वह जरू री नहीं कि जूनियर स्तर पर इसलिए जगह बनाए कि वह बेहतर है बल्कि इसलिए टीम में स्थान बनाए क्योंकि वह शारीरिक रू प से मजबूत और बड़ा है। इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि एक ईमानदार और प्रतिभाशाली खिलाड़ी को टीम से बाहर होना पड़ता है और उसे हमेशा के लिए खोने का जोखिम पैदा हो जाता है। उम्र के साथ धोखाधड़ी जहर के समान खतरनाक है। द्रविड़ ने इसके साथ ही कहा कि बीसीसीआइ को युवाओं को आकर्षित करने के लिए अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हम युवा खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर रहे हैं और इसलिए प्रतिभा गंवा रहे हैं। क्रिकेट अब युवाओं के लिए नंबर एक खेल नहीं रहा। एक शीर्ष खेल उपकरण निर्माता कंपनी ने मुझे बताया कि क्रिकेट उपकरणों की बिक्री में गिरावट आई है। मुझे लगता है कि भारत में जूनियर क्रिकेट के लिए हमें खाका तैयार करने की जरू रत है। हमें अपने प्रशिक्षकों को गाइड करने का तरीका ढूंढना होगा। इसके लिए अच्छी तरह से परिभाषित दिशानिर्देश होने चाहिए। द्रविड़ ने जूनियर क्रिकेट में रोटेशन प्रणाली का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हमें जूनियर क्रिकेट को समय देने की जरू रत है। उन्होंने इसके साथ ही युवा क्रिकेटरों के बहुत जल्दी खेल को छोड़ने के चलन और किस तरह से माता पिता युवा क्रिकेटरों पर दबाव बनाते हैं, उस पर भी बात की। इस 42 वर्षीय खिलाड़ी ने लगातार शिक्षा देने पर जोर दिया ताकि वे अच्छे इंसान बन सकें।
इस कार्यक्रम में भारत और दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीमों ने हिस्सा लिया जो यहां फीरोजशाह कोटला में चौथा टैस्ट मैच खेलेंगी। पटौदी की पत्नी शर्मिला टैगोर भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं। द्रविड़ ने कहा कि अधिकतर बच्चों को वैसी सहयोगी प्रणाली नहीं मिलती जैसी कि सचिन तेंदुलकर को उनके शुरुआती दिनों में मिली थी। उन्होंने कहा कि सचिन अलग तरह के थे। प्रतिभा के लिहाज से वे अनूठे थे। भारतीय टीम में उनके उदय, उनकी सफलता साधारण से पूरी तरह परे थी। यह अभूतपूर्व था और हम जो उनकी उम्र के थे वह उनके लिए हैरान करने वाला था। द्रविड़ ने कहा कि लोग यह भूल गए कि सचिन के साथ एक शानदार सहयोगी प्रणाली थी। उनका परिवार सहयोग कर रहा था और उनकी परवाह करता था। उनका बड़ा भाई हमेशा उनके साथ मार्गदर्शन करने के लिए रहता था। उनके कोच रमाकांत अचरेकर एक कोच से अधिक उनकी जिंदगी और पिच पर मेंटर थे। उन्होंने उन्हें सिखाया कि बल्ला कैसे पकड़ना है और आगे कैसे बढ़ना है।
उन्होंने कहा कि सचिन सौभाग्यशाली थे कि उन्हें इस तरह का सहयोग मिला। शायद वे इससे सहमत होंगे। हर क्रिकेटर इतना भाग्यशाली नहीं होता कि उसे ऐसा सहयोग मिले। भारतीय क्रिकेट इतिहास ऐसी कई कहानियों से भरा पड़ा है जबकि जरू री सहयोग और मार्गदर्शन नहीं मिलने से युवा उदीयमान प्रतिभा आगे नहीं बढ़ पाई। द्रविड़ ने क्रिकेट अकादमी में बच्चों के लिए सख्त दिशानिर्देश तैयार करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि बीसीसीआइ को न्यूनतम मानक दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए जिनका अकादमियों को हर हाल में पालन करना होगा। अगर वे असफल रहती हैं तो उनकी खिंचाई होनी चाहिए।
द्रविड़ ने इसके साथ ही कहा कि बीसीसीआइ को युवाओं को आकर्षित करने के लिए अधिक प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम युवा खिलाड़ियों को आकर्षित करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर रहे हैं और इसलिए प्रतिभा गंवा रहे हैं। द्रविड़ ने न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मैंने पढ़ा कि दिल्ली टैस्ट के आयोजन से जुड़े न्यायमूर्ति मुदगल उन बच्चों में मुफ्त टिकट बांटना चाहते हैं जिनके माता पिता उन्हें मैच दिखाने के लिए नहीं ले जा सकते। यह आगे की सोच है। अपने बचपन की याद ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं युवा क्रिकेटर था तो हमेशा मंसूर अली खां पटौदी से मिलने के बारे में सोचा करता था क्योंकि मैंने सीनियर खिलाड़ियों से उनके बारे में काफी कुछ सुना था।