लखनऊ के तोपखाना बाजार में सड़क के किनारे कैसर जहां ठेले पर सब्जी लेकर चिलचिलाती धूप में खड़ी थीं। शुक्रवार को नमाज से पहले, उनके ठेले के आसपास काफी भीड़ थी। लगभग ठीक उसी समय, दक्षिण अफ्रीका के पोटचेफस्ट्रूम के यूनिवर्सिटी ग्राउंड में उनकी बेटी मुमताज जूनियर हॉकी विश्व कप (Women Junior Hockey World Cup) में एक और दमदार प्रदर्शन करने जा रही थी। साउथ कोरिया की गोलकीपर को छकाते हुए मुमताज ने बॉल को गोलपोस्ट में डाल दिया था। मुमताज के इस गोल की बदौलत टीम इंडिया ने क्वार्टरफाइनल में साउथ कोरिया को 3-0 से हरा दिया और सेमीफाइनल में धमाकेदार एंट्री किया।
ये दूसरा मौका है जब भारतीय टीम जूनियर महिला विश्व कप के अंतिम चार में पहुंची है। अब तक छह गोल के साथ मुमताज टूर्नामेंट की तीसरी सबसे ज्यादा गोल करने वाली खिलाड़ी हैं। मुमताज ने वेल्स के खिलाफ भारत के शुरुआती मैच के अलावा, टूर्नामेंट की फेवरिट मानी जा रही जर्मनी के खिलाफ विजयी गोल दागा था और मलेशिया के खिलाफ शानदार हैट्रिक लगाई थी।
शुक्रवार के दिन, जब मुमताज की मां बाहर काम कर रही थीं, मुमताज की पांच बहनें लखनऊ में अपने घर पर मोबाइल पर मैच देख रही थीं। उस वक्त मुमताज के पिता हाफिज मस्जिद में गए थे। मुमताज की बड़ी बहन फराह बताती हैं, “आज हमें कैसा लग रहा है, इसको बयां करना मुश्किल है। ऐसे भी दिन थे जब हमारे पास कुछ नहीं था … जब कुछ लोग मेरे माता-पिता को एक लड़की को खेलने की इजाजत देने के लिए ताना मारते थे।” कैसर जहां कहती हैं, “हमने उन लोगों की बातों को नजरअंदाज कर दिया, लेकिन आज, ऐसा लगता है कि मुमताज ने उन सभी को मुंहतोड़ जवाब दिया है।”
मुमताज और उनके हॉकी खेलने की कहानी भी दिलचस्प है। 2013 में मुमताज आगरा में एक प्रतियोगिता के लिए अपनी स्कूल एथलेटिक्स टीम के साथ गई थी, जहां मुमताज ने शीर्ष स्थान हासिल किया, जिसके बाद एक स्थानीय कोच ने मुमताज को सुझाव दिया कि वह हॉकी खेलना शुरू करें। मुमताज के बचपन के कोच नीलम सिद्दीकी ने कहा, “मुमताज के पास वह स्पीड और एनर्जी थी जो हमें लगा कि हॉकी में काम आएगी। हमें लगा कि अगर वह हॉकी के गेम को अच्छी तरह समझ लेती है, तो वह एक बहुत अच्छी खिलाड़ी बन सकती है।”
सिद्दीकी ने बताया कि मुमताज मुश्किल से 13 साल की थी और तब तक वह केवल कुछ ही बार अपनी स्कूल टीम के लिए खेली थी। हमने उसे कुछ सीनियर प्लेयर्स के साथ मैच में रखा, यह देखने के लिए कि वह कैसा प्रदर्शन कर पाती है। वह बहुत निडर थी और उसने खिलाड़ियों को छकाया।” सिद्दीकी ने आगे कहा कि ये वो क्षण थे जब मुमताज ने भारत के लिए खेलने का सपना देखना शुरू कर दिया था।