भारतीय क्रिकेट में अगर कप्तानों के द्वारा सबसे बेहतरीन फैसले के बारे में बात की जाए तो दर्जनों उदाहरण सामने आ जाएंगे। सौरव गांगुली का युवाओं पर भरोसा, महेंद्र सिंह धोनी का आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में जोंगिदर शर्मा को आखिरी गेंद देना या 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में खुद को युवराज सिंह से ऊपर बल्लेबाजी के लिए प्रमोट करना। कई क्रिकेट प्रेमियों को ये पता नहीं होगा कि मोहम्मद अजहरुद्दीन के एक फैसले ने भारतीय क्रिकेट की तस्वीर ही बदल दी। उस फैसले ने क्रिकेट को ‘भगवान’ दे दिया।

अजहरुद्दीन ने 1994 में सचिन तेंदुलकर को ओपनिंग कराने का फैसला किया था। दरअसल, 1994 के न्यूजीलैंड दौरे पर टीम के नियमित ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू की गर्दन में परेशानी हो गई थी। सचिन कप्तान और मैनेजर अजीत वाडेकर से पहले भी ओपनिंग कराने के लिए अपील कर चुके थे। वे उससे पहले पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते थे। 5वें और छठे नंबर पर सचिन के नाम एक भी शतक नहीं था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले सचिन के नाम वनडे में शुरुआती पांच साल में एक भी शतक नहीं था।

जब सचिन को ओपनिंग करने के लिए भेजा गया तो उन्होंने कप्तान को निराश नहीं किया। पहले ही मैच में न्यूजीलैंज के खिलाफ ऑकलैंड की तेज पिच पर 49 गेंद पर 82 रन बनाए थे। अजरुद्दीन ने उस फैसले के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दिमाग में पहले से ही था कि सचिन से ओपनिंग करवाऊं। पांचवें या छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए उसे 5 या 6 ओवर ही खेलने को मौका मिलता थाष। मैंने सोचा सचिन जैसे आक्रामक बल्लेबाज को निचले क्रम में उतार कर उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इसलिए मैंने उसे ओपन करने के लिए कहा।’’


अजहर ने आगे कहा, ‘‘सचिन खुद ओपनिंग करना चाहता था। आज हमें खुशी होती है कि वह दुनिया का महानतम बल्लेबाज बना।’’ सचिन ने ओपनर के तौर पर 344 मैचों में 48.29 की औसत से सर्वाधिक 15310 रन बनाए। उन्होंने वनडे में 49 में से 45 शतक ओपनर के तौर पर ही लगाए। वनडे में उन्होंने अपना पहला शतक 79वें मैच में लगाया था। उस मैच में भी सचिन ने ओपनिंग ही की थी।