भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की प्रमुख बनने वाली पहली महिला बनने की कतार में 2010 राष्ट्रमंडल खेल की स्वर्ण पदक विजेता 36 वर्षीय अनीता श्योराण का कहना है कि इस पद के लिए चुनाव जीतना उनके लिए महत्वपूर्ण है। वह भारतीय कुश्ती पर निवर्तमान डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की एक दशक पुरानी पकड़ खत्म करना और बदलाव लाना चाहती हैं। यह वही अनीता श्योराण हैं, जिन्होंने मां बनने के बाद अपना 30 किलो वजन घटाया और देश के लिए स्वर्ण पदक जीता।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अनीता श्योराण कहती हैं, ‘मैं जिस व्यक्ति के खिलाफ चुनाव लड़ रही हूं, उसे बृज भूषण का समर्थन हासिल है। अगर वह जीत गए तो डब्ल्यूएफआई की सफाई नहीं हो पाएगी, क्योंकि पीछे से बृजभूषण ही कमान संभाल लेंगे। मैं नहीं चाहती कि कुश्ती और महिला पहलवानों के लिए ऐसा हो। चुनाव से बदलाव आना चाहिए।’
डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में अनीता श्योराण का मुकाबला उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष और बृजभूषण के करीबी संजय कुमार सिंह से है। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और महिला पहलवानों का पीछा करने के आरोप हैं। अनीता श्योराण उनके खिलाफ मामले में गवाह भी हैं। अनीता श्योराण को भारत के कुछ शीर्ष पहलवानों बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट का समर्थन हासिल है। ये पहलवान बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर चुके हैं।
ये होंगी अनीता श्योराण की प्राथमिकता
अनीता श्योराण कहती हैं, ‘मेरे लिए यह पहली महिला अध्यक्ष होने के बारे में नहीं है। यह खेल में सकारात्मक बदलाव लाने की शक्ति रखने के बारे में है। महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण, भारतीय प्रशिक्षकों का कौशल बढ़ाना, पोषण विशेषज्ञ, शक्ति प्रशिक्षक, खेल फिजियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञों को लाना, प्रशिक्षण केंद्रों में बेहतर आहार, चयन में निष्पक्षता, पक्षपात को खत्म करना। हमारे पास ओलंपिक पदक विजेता हैं लेकिन महासंघ की प्रतिष्ठा अच्छी नहीं है।’
हालांकि, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार 11 अगस्त 2023 को हरियाणा कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए डब्ल्यूएफआई चुनावों पर रोक लगा दी। अनीता का कहना है कि ‘पहलवानों को पहले रखना’ हमेशा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी।
अनीता श्योराण कहती हैं, ‘मैंने हमेशा सोचा था कि मैं महासंघ चला सकती हूं और बदलाव ला सकती हूं, लेकिन मैं कभी इसके (अध्यक्ष पद) पीछे भागी नहीं। लेकिन जब विरोध हुआ तो उन्हें (पहलवानों को) लगा कि एक महिला को अध्यक्ष बनने की जरुरत है, क्योंकि यह लड़कियों और खेल के लिए अच्छा होगा। बृजभूषण ने कर्ता-धर्ता जैसा आचरण किया। जब वह उठते थे तो उनके साथ 50 लोग उठते थे। पहलवान उनसे बात करने से डरते थे। मैं सभी पहलवानों के लिए सुलभ रहूंगी। मैं यहां पहलवानों की वजह से हूं, न कि किसी अन्य तरीके से। मैं यह भी चाहूंगी कि प्रशासक के रूप में अधिक महिलाएं आगे आएं।’
भिवानी के धानी महू गांव की पहली अंतरराष्ट्रीय एथलीट हैं अनीता श्योराण
अनीता श्योराण भिवानी के धानी महू गांव की पहली अंतरराष्ट्रीय एथलीट हैं। रोहतक की पुलिस इंस्पेक्टर ने सामाजिक दबाव को धता बताते हुए कुश्ती में कदम रखा था, लेकिन उनके लिए यह आसान नहीं था। अनीता श्योराण कहती हैं, ‘मां संतोष एक गृहिणी थीं। पिता दलीप सिंह ट्रक ड्राइवर थे। मेरा भाई अपनी बहनों के लिए एक सुरक्षा गार्ड की तरह था। उन्हें पसंद नहीं था कि मैं मॉर्निंग वाक करूं या गांव में दौड़ने जाऊं। वह यह भी नहीं चाहते थे कि मैं टेलीविजन देखूं।
मां संतोष के कारण जीवन में सफल हो पाईं अनीता श्योराण
अनीता कहती हैं, ‘मैं अपनी मां के प्रगतिशील होने के लिए आभारी हूं। वह चाहती थीं कि उनकी बेटियां पढ़ाईं करें और जो भी क्षेत्र चुनें उसमें और जीवन में आगे बढ़ें। उन्होंने मेरे पिता को आश्वस्त किया कि पहलवान बनने के लिए पढ़ाई और प्रशिक्षण के लिए भिवानी जाना ठीक है। मेरी बहन शायद हमारे गांव से बाहर जाकर पढ़ने वाली पहली लड़की थी।’

अनीता श्योराण के गांव और आसपास का रुख अब बदल गया है। वह बताती हैं, ‘धानी महू की एक महिला एथलीट है जो मेरी रिश्तेदार है। अब मेरे गांव में लोग आपका मूल्यांकन इस आधार पर नहीं करते कि आपने क्या पहना है। एक बार जब मैंने पदक जीतने शुरू किए तो मेरे परिवार और गांव में रवैया बदल गया।’
मुझे पता है कि सिस्टम कैसे काम करता है: अनीता श्योराण
काम के दौरान अनीता श्योराण को अक्सर यौन अपराधों में बच्चों की रोकथाम (POCSO) अधिनियम से संबंधित मामलों में मदद करने के लिए कहा जाता है। अनीता श्योराण बताती हैं, ‘जब मैं पहलवान थी उससे पुलिस का काम बहुत अलग है। एक खेल प्रशासक बनना एक नई चुनौती होगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं क्योंकि मैं दो दशक से पहलवान हूं और जानती हूं कि सिस्टम कैसे काम करता है और पहलवानों को उत्कृष्टता हासिल करने के लिए किसकी जरूरत है।’
अनीता श्योराण ने मैट पर उम्मीदों के विपरीत जीत हासिल की और वापसी की। मां बनने और अधिक वजन होने के कारण लगभग दो वर्षों तक कुश्ती नहीं लड़ने के बावजूद अनीता श्योराण ने वापसी की और राष्ट्रीय चैंपियन बनीं। यही नहीं, उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक भी जीता। अनीता के लिए यह सब उनके पति नवीन शेरावत और सास की वजह से संभव हो पाया।
मां बनने के बाद 95 किलो हो गया था वजन
अनीता श्योराण ने बताया, मेरी शादी 2015 में हुई। दो साल बाद हम माता-पिता बन गए। मेरा वजन 95 किलो हो गया था। मेरे पति ने मुझे कुश्ती में लौटने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि वह जानते थे कि मेरी इच्छा थी। उन्होंने मेरा डाइट तय की और मेरी जरूरतों का ख्याल रखा। मेरी सास मेरे बेटे आर्यवीर की देखभाल करती थीं। मैंने वापसी के बाद 65 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीते। मैं जानती हूं कि बाधाओं से लड़ने के लिए क्या करना पड़ता है।’