आतंकी घटनाओं से आए दिन रूबरू होने वाली कश्मीर घाटी से कोई महिला फुटबॉलर भी निकल सकती है, यह खुद में आश्चर्य की बात है। सुविधाओं की कमी का हवाला देते हुए जहां मैदानी इलाकों के युवा हिम्मत हार जाते हैं, वहीं नादिया निगहत ने समाज की बेड़ियों को तोड़कर फुटबॉल की दुनिया में अपना नाम स्थापित किया है। वे कश्मीर की पहली महिला फुटबॉल कोच हैं। हालांकि यहां तक के सफर को तय करने के लिए उन्हें भी सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ने के लिए भिड़ना पड़ा। श्रीनगर की नादिया ने जब 2007 में फुटबॉल खेलना शुरू किया था, तब उनके घर वाले इस फैसले के खिलाफ थे। इस महिला कोच ने अपनी मेहनत के बूते जब राष्ट्रीय खेलों तक का सफर तय किया तब जाकर उनके घर वालों ने अपनी बेटी की काबिलियत को स्वीकारा। एक टीवी साक्षात्कार के दौरान नादिया ने बताया कि राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने के बाद उनके माता-पिता भी उनकी मदद के लिए आगे आए।
एक दमदार फुटबॉलर के करिअर को छोड़कर कोचिंग को अपनाने के बारे में नादिया ने कहा कि वह देश के लिए खेलना चाहती थीं। घाटी में सुविधाओं की कमी और कम मौकों ने उन्हें कोच बनने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में खेल को लेकर ज्यादा संभावनाएं नहीं हैं। मैं फुटबॉलर के तौर पर देश के लिए खेलने का सपना पूरा नहीं पाई, लेकिन अब कोच बनकर किसी दूसरे के लिए रास्ता तैयार कर रही हूं। नादिया अपने इलाके के जिस कॉलेज में प्रशिक्षण लेती थीं, वहां 40-50 लड़कों के बीच एकमात्र लड़की थीं। 20 साल की नादिया ने कहा कि उन्हें एक लड़की होने के कारण हमेश ताने दिए जाते थे। लोग ये मानते थे कि उन्हें सिर्फ पढ़ाई और घर के कामों में ही ध्यान देना चाहिए। वे कहती हैं, लेकिन बचपन से ही फुटबॉल के प्रति मेरा आकर्षण रहा।
अभी हाल मुंबई में अपनी टीम के साथ अभ्यास सत्र का हिस्सा बनीं नादिया कहती हैं कि वह इस खेल की बारीकियों पर ज्यादा से ज्यादा काम कर रही हैं ताकि जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को विश्व स्तरीय कोचिंग दे सकें। नादिया पुर्तगाल के महान फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनल मेस्सी से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने अपने क्लब का नाम भी ‘सीआर-7’ की तर्ज पर ‘जेज-7’ रखा है। श्रीनगर के सरकारी महिला कॉलेज में लड़कियों को प्रशिक्षण दे रहीं नादिया ने कहा कि मैं चाहती हूं कि हर लड़की अपने जुनून को मुकाम तक पहुंचाए। जम्मू-कश्मीर फुटबॉल संघ की मदद से नादिया दो अन्य कोचिंग कोर्स भी कर रहीं हैं ताकि वो लड़कियों को बेहतर फुटबॉल की तालीम दे सके।