छह बार की वर्ल्ड चैंपियन और 2012 ओलंपिक पदक विजेता मैंगते चुंगनेइजैंग मैरी कॉम ने बुधवार को मुक्केबाजी से संन्यास की घोषणा की। मैरी कॉम को यह फैसला इंटरनेशन बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) के नियम की वजह से लेना पड़ा। आईबीए की नियम के अनुसार पुरुष और महिला मुक्केबाज को केवल 40 वर्ष की आयु तक एलीट लेवल के कंप्टिशन में लड़ने की अनुमति होती है। यही वजह है कि अपना फैसला सुनाते हुए मैरी कॉम ने कहा कि उन्हें मजबूरन अलविदा कहना पड़ रहा है।

एक कार्यक्रम के दौरान 41 वर्षीय मैरी ने स्वीकार किया कि उनमें अभी भी उनमें एलीट लेवल पर प्रतिस्पर्धा करने की भूख है, लेकिन उम्र सीमा के कारण उन्हें अपने करियर पर पर्दा डालना होगा। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उन्होंने कहा, “मुझमें अब भी भूख है, लेकिन दुर्भाग्य से उम्र सीमा खत्म हो जाने के कारण मैं ओलंपिक समेत किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकती। मैं और खेलना चाहती हूं, लेकिन मुझे (आयु सीमा के कारण) अलविदा कहने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुझे रिटायर होना पड़ा। मैंने अपने जीवन में सब कुछ हासिल किया है।”

छह विश्व खिताब जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज

मैरी कॉम मुक्केबाजी इतिहास में छह विश्व खिताब जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज हैं। पांच बार की एशियाई चैंपियन 2014 एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला मुक्केबाज थीं। अनुभवी मुक्केबाज ने लंदन 2012 ओलंपिक गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता। । उन्होंने 18 साल की उम्र में पेनसिल्वेनिया के स्क्रैंटन में पहले वर्ल्ड मीट में खुद को दुनिया के सामने पेश किया।

कब कब बनीं वर्ल्ड चैंपियन

अपनी बेहतरीन मुक्केबाजी शैली से उन्होंने सभी को प्रभावित किया और 48 किग्रा वर्ग के फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में वह जीत नहीं सकीं, लेकिन छाप छोड़ने में सफल रहीं। वह एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। उन्होंने 2005, 2006, 2008 और 2010 संस्करणों में विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता।

जब ब्रेक पर गईं मैरी कॉम

2008 का खिताब जीतने के बाद, मैरी अपने जुड़वां बच्चों को जन्म देने के बाद ब्रेक पर चली गईं। 2012 ओलंपिक पदक जीतने के बाद मैरी अपने तीसरे बच्चे को जन्म देने के बाद एक बार फिर ब्रेक पर चली गईं। उन्होंने वापसी की और दिल्ली में आयोजित 2018 विश्व चैंपियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन किया।