महेंद्र सिंह धोनी ने मंगलवार को क्रिकेट जगत को हैरान करते हुए तुरंत प्रभाव से टैस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की जिससे आस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा शृंखला के चौथे और अंतिम टैस्ट में विराट कोहली को कप्तानी की जिम्मेदारी संभालनी होगी। यहां तीसरा टैस्ट ड्रा होने के साथ भारत के शृंखला हारने के तुरंत बाद धोनी ने संन्यास की घोषणा की। धोनी ने भारत की ओर से 90 टैस्ट मैच खेले जिसमें से 60 में उन्होंने कप्तानी की।
बीसीसीआइ ने एक बयान में कहा कि भारत के महानतम टैस्ट कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी, जिनके नेतृत्व में भारत टैस्ट रैंकिंग में नंबर एक बना, ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों में खेलने के दबाव का हवाला देकर टैस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। बयान के अनुसार महेंद्र सिंह धोनी ने वनडे और टी20 प्रारूपोंं पर ध्यान देने के लिए तुरंत प्रभाव से टैस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। टैस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के महेंद्र सिंह धोनी के फैसले का सम्मान करते हुए बीसीसीआइ टैस्ट क्रिकेट में उनके योगदान और भारत को दिलाए गौरवपूर्ण लमहों के लिए उन्हें धन्यवाद देता है। बोर्ड ने कहा कि सिडनी में 6 जनवरी, 2015 से खेले जाने वाले चौथे और अंतिम टैस्ट के लिए विराट कोहली भारतीय टीम के कप्तान होंगे।
News Alert – MS Dhoni has chosen to retire from Test Cricket with immediate effect #MSD #Captain
— BCCI (@BCCI) December 30, 2014
News Alert – Virat will be the captain for the 4th and Final Test against Australia #MSD #AusvsInd — BCCI (@BCCI) December 30, 2014
धोनी ने मैच के बाद पुरस्कार वितरण समारोह या प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संन्यास के बारे में कुछ नहीं कहा। उनके संन्यास की घोषणा बीसीसीआइ ने प्रेस विज्ञप्ति के जरिए की। धोनी की अगुआई में भारत ने दो विश्व कप (2007 में टी20 विश्व चैंपियनशिप और 2011 विश्व कप) जीते लेकिन टैस्ट क्रिकेट में विदेशों में टीम के खराब प्रदर्शन के लिए इस 33 साल के विकेटकीपर को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। उनकी अगुआई में भारत ने विदेशों में 30 टैस्ट में सिर्फ छह में जीत दर्ज की। टीम को 2011 में इंग्लैंड और 2011-12 में आस्ट्रेलिया में उनकी अगुआई में शर्मनाक क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा।
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इसके अलावा टीम ने दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के खिलाफ भी शृंखलाएं हारीं और इस साल इंग्लंैड दौरे पर टीम को दोबारा शिकस्त झेलनी पड़ी। इसके बावजूद यह विकेटकीपर बल्लेबाज भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक है। उनकी अगुआई में टीम 2009 में आइसीसी टैस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंची।
विदेशों में टीम के लगातार खराब प्रदर्शन के कारण धोनी पर कप्तानी छोड़ने का दबाव बढ़ रहा था और पूर्व खिलाड़ी और आलोचक पांच दिवसीय प्रारूप में उनकी रक्षात्मक कप्तानी पर सवाल उठा रहे थे। इन आलोचनाओं के बावजूद धोनी 3454 रन के साथ टैस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले भारतीय कप्तान बने। उन्होंने सुनील गावसकर (3449) को पीछे छोड़ा जबकि इस सूची में मोहम्मद अजरुद्दीन (2856) और सौरव गांगुली (2561) भी शामिल हैं।
धोनी की कप्तानी में भारत ने 60 टैस्ट खेले जिसमें से टीम 27 में जीत दर्ज करने में सफल रही जबकि 18 में उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा 15 मैच बराबरी पर छूटे। कई पूर्व कप्तानों ने घोषणा की थी कि कोहली के धोनी से कप्तानी की बागडोर लेने का समय आ गया है क्योंकि उन्हें अपनी कप्तानी में कुछ नया लाने में जूझना पड़ रहा है।
धोनी ने 2008 में अनिल कुंबले से कप्तानी की बागडोर संभालने के बाद काफी सफलता हासिल की और 2013 में वह गांगुली के 49 टैस्ट में 21 जीत के रेकॉर्ड को पीछे छोड़कर भारत के सबसे सफल टैस्ट कप्तान बने। विदेशों में भले ही धोनी का कप्तानी रेकॉर्ड खराब हो लेकिन घरेलू सरजमीं पर टीम इंडिया ने उनकी अगुआई 30 मैचों में 21 में जीत दर्ज की।