साल 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत के पीछे के मास्टरमाइंड माने जाने वाले ललित मोदी ने हाल ही में बताया कि उन्हें क्यों लगता है कि अमेरिका में क्रिकेट कभी कामयाब नहीं होगा। 61 साल के मोदी ने बताया कि भले ही अमेरिका में बहुत सारे भारतीय रहते हों लेकिन वे स्टार प्लेयर्स को खेलते देखने के लिए ही मोटी रकम खर्च करेंगे।

अमेरिका में क्रिकेट 50 साल में भी नहीं हो पाएगा कामयाब

ललित मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क के साथ बियॉन्ड23 क्रिकेट पॉडकास्ट में कहा कि मेजर लीग क्रिकेट देखो जो अभी-अभी खत्म हुआ है। मैंने अपने दोस्त क्रिस गेल को फोन किया कि क्रिस मैं तुम्हें टेक्सास में देख रहा हूं वहां का माहौल कैसा है। इसके बाद उन्होंने कहा कि भाई सब खत्म हो गया है स्टेडियम में कोई नहीं है। मुझे लगता है कि अमेरिका में क्रिकेट अभी, इस दशक में या फिर अगले 50 साल में भी कामयाब नहीं हो पाएगा।

मोदी ने ये भी कहा कि अमेरिका में हर किसी की दूसरे खेलों में रुचि नहीं होगी ठीक वैसे ही जैसे दूसरे देश अमेरिका में लोकप्रिय एनबीए, एनएफएल या बेसबॉल जैसे खेलों में दिलचस्पी नहीं लेते। अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने हाल ही में अमेरिका में हुए क्लब वर्ल्ड कप का उदाहरण दिया जहां मेटलाइफ स्टेडियम को चेल्सी बनाम फ्लूमिनीज़ सेमीफ़ाइनल मैच के लिए टिकटों की कीमत 473.90 डॉलर से घटाकर 13.40 डॉलर करनी पड़ी थी।

फैंस सिर्फ स्टार प्लेयर्स को देखना चाहते हैं

ललित मोदी ने आगे कहा कि मैं दुनिया में कभी भी जैसे कि अमेरिका, सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजिल्स में बैठा एक बिज़नेस एक्सपर्ट हूं। मैं विराट सिंह नाम के किसी खिलाड़ी को दुष्यंत सिंह के खइलाफ खेलते हुए देखने जा रहा हूं या फिर ललित सिंह के खिलाफ। मैंने इन खिलाड़ियों के बारे में कभी नहीं सुना। मैं बस विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, माइकल क्लार्क, ब्रेट ली को देखना चाहता हूं और उन पर अपना पैसा खर्च करना चाहता हूं क्योंकि इन खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत की है।

मोदी ने यह भी कहा कि अब लोग सिर्फ सितारों के लिए खेल देखते हैं। अगर सितारे ही न हों, तो किसी भी टूर्नामेंट के सफल होने की संभावना कम ही है। उन्होंने कहा कि जब भारत-पाकिस्तान के बीच न्यूयॉर्क में मैच हुआ तो स्टेडियम खचाखच भरा था। क्या अमेरिका में हुए विश्व कप में किसी और स्टेडियम में कोई स्टेडियम भरा था, नहीं। क्या भारत में कोई रणजी ट्रॉफी देखता है, नहीं। क्या कहीं कोई स्थानीय लीग देखता है, नहीं। अब लोग स्टार खिलाड़ियों को देखते हैं। अगर कोई स्टार नहीं होगा, कोई भारतीय स्टार नहीं होगा, तो प्रवासी भारतीय या राष्ट्रमंडल देश प्रमुख लीग क्रिकेट क्यों देखेंगे।