बांस की पटरी, भूसे से भरे बोरे और मिट्टी के मैदान से शुरू हुआ एक सपना आज स्वर्ण पदक और राष्ट्रीय रिकॉर्ड की ऊंचाइयों तक पहुंच चुका है। हरियाणा में फतेहाबाद जिले के एक छोटे से गांव में राजमिस्त्री के घर जन्मीं पूजा ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (Khelo India University Games) 2025 में 1.77 मीटर की छलांग लगाकर न सिर्फ गोल्ड मेडल जीता, बल्कि यह भी साबित किया कि संघर्ष, गरीबी और सीमित संसाधन किसी प्रतिभा की उड़ान को रोक नहीं सकते। हालात चाहे जैसे भी हों, हौसले उड़ान भरना जानते हैं।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स बना वापसी का सबसे बड़ा मंच
पूजा की यह जीत सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि हिम्मत और अटूट विश्वास की प्रेरणादायी कहानी है। पूजा ने तीन दिसंबर 2025 को जब जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में आखिरी सफल छलांग लगाई, तो मैदान तालियों की गूंज से भर उठा। यह पूजा की चोट के बाद पहली प्रतियोगिता थी। पिछले करीब पांच महीनों से वह टखने की गंभीर चोट से जूझ रही थीं। चोट के कारण पूजा की ट्रेनिंग और लगातार बढ़ती लय पर ब्रेक लगा दिया था। ऐसे में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 उनके लिए सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि खुद को दोबारा साबित करने का मंच बन गया।
चोट ने रोका, लेकिन हौसले नहीं डगमगाए
पूजा पहले ही इतिहास रच चुकी हैं। पूजा इस साल की शुरुआत में बॉबी एलॉयसियस (Bobby Aloysius) के बाद एशियन हाई जम्प चैंपियन बनने वाली दूसरी भारतीय महिला बनीं थीं। पूजा ने तब 1.89 मीटर की छलांग के साथ पर्सनल बेस्ट भी बनाया था। उसी शानदार फॉर्म के बाद उन्हें चोट ने रोक दिया, लेकिन खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में वापसी ने साफ किया कि उनका जज्बा अब भी उतना ही मजबूत है।
बांस की पटरी से शुरू हुआ ऊंची उड़ान का सपना
पूजा की सफलता की कहानी बेहद साधारण हालात से शुरू होती है। फतेहाबाद के बोस्टन गांव में उनके पहले कोच बलवान पात्रा के छोटे से प्रशिक्षण स्थल पर न तो आधुनिक ट्रैक था, न महंगे उपकरण। वहां बांस की पटरी ऊंची कूद का बार बनती थी और चावल के भूसे से भरे बोरों को लैंडिंग पिट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। पूजा ने वैसे ही हालात में सपनों को आकार दिया और हर रोज खुद को कल से बेहतर बनाने की ठानी।
पहली छलांग में ही टूट गया मीट रिकॉर्ड
पूजा ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (Lovely Professional University) की ओर से खेलते हुए खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में हिस्सा लिया। उनका लक्ष्य यहां अपने 1.89 मीटर के पर्सनल बेस्ट को दोहराना था। हालांकि, वह इस आंकड़े तक नहीं पहुंच सकीं, लेकिन 1.77 मीटर की छलांग ने मीट रिकॉर्ड जरूर तोड़ दिया और उन्हें स्वर्ण पदक दिला दिया।
गोल्ड जीतने के बाद पूजा की आवाज में संतोष और आत्मविश्वास दोनों झलक रहे थे। पूजा ने कहा, ‘मैं यहां अपना पर्सनल बेस्ट से आगे निकलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन फिर भी मैं मीट रिकॉर्ड तोड़कर और गोल्ड मेडल जीतकर खुश हूं। पांच महीने पहले टखने में चोट लगने के बाद यह मेरी पहली प्रतियोगिता थी। मैं इस टूर्नामेंट में खुद को परखना चाहती थी।’
KIUG 2025 में अनुभव के बारे में पूजा ने कहा, ‘यह मेरा पहला खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स है। मैं यहां गोल्ड जीतकर खुश हूं। सुविधाएं इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के बराबर हैं। दूसरी प्रतियोगिताओं के उलट, एथलीटों को ट्रैवल या लॉजिस्टिक्स की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, इसलिए हम पूरी तरह से अपने इवेंट्स पर फोकस कर सकते हैं।’
अब नजर 2026 एशियन गेम्स पर
अपने रिहैबिलिटेशन और लॉन्ग-टर्म डेवलपमेंट प्लान के लिए पूजा हाल ही में बेंगलुरु में अंजू बॉबी जॉर्ज एकेडमी में शामिल हुई हैं। साल 2023 में हांग्झू एशियाई खेलों में 1.80 मीटर जम्प के साथ छठे स्थान पर रहने के बाद, पूजा अब अपने KIUG परफॉर्मेंस को एक जरूरी रीस्टार्ट और 2026 एशियन गेम्स में अपनी जगह पक्की करने की दिशा में एक कदम के तौर पर देखती हैं।
पूजा ने कहा, ‘फोकस निश्चित रूप से 2026 एशियन गेम्स पर है। चोट ने लगभग पांच महीने तक मेरी ट्रेनिंग में रुकावट डाली, लेकिन अब जब मैं कॉम्पिटिशन मोड में वापस आ गई हूं, तो मैं ध्यान भटकाने वाली चीजों से बचना चाहती हूं और पूरी तरह से अपनी ट्रेनिंग पर फोकस करना चाहती हूं।’ IND vs SA: तिलक वर्मा ने सुपर मैन की तरह हवा में उछलकर भारत के लिए बचाए 5 रन, हैरतअंगेज कर देगा VIDEO
