Khelo India University Games 2025 में 100 मीटर की दौड़ पूरी करने में लगे 11.94 सेकेंड भले ही घड़ी में दर्ज हुए हों, लेकिन कीर्तना की जिंदगी की यह जीत 11 वर्षों से भी कहीं अधिक लंबी संघर्ष यात्रा का नतीजा है। महज नौ साल की उम्र में पिता को खोने का सदमा, फिर कोच की असामयिक मृत्यु और उस पर करियर को पटरी से उतार देने वाली गंभीर चोट, इन सबके बावजूद कीर्तना ने कभी हार नहीं मानी। जयपुर के ट्रैक पर जब उन्होंने स्वर्ण पदक जीता तो वह सिर्फ एक रेस की जीत नहीं थी, बल्कि हालात से लगातार जूझते रहने की जिद और लगन की मिसाल थी।

खुद को दोबारा खड़ा किया

उडुपी की इस युवा धाविका ने हर गिरावट के बाद खुद को दोबारा खड़ा किया। निजी ट्रेनिंग, सीमित संसाधन और लगातार डराने वाली चोट के साये के बीच कीर्तना ने न सिर्फ अपनी रफ्तार को निखारा, बल्कि अपने सपनों को भी नई उड़ान दी। खेलो इंडिया यूनिर्वसिटी गेम्स 2025 का यह स्वर्ण पदक उनके लिए सिर्फ एक मेडल नहीं, बल्कि उस संघर्ष की चमकदार मिसाल है ,जिसे उन्होंने बेहद कम उम्र में ओढ़ लिया था।

जैन यूनिर्विसटी को दिलाया ट्रैक में पहला पदक

कीर्तिना ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में महिलाओं की 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता। यह एक ऐसी जीत थी जिसके लिए कई साल लगे थे। जैन यूनिवर्सिटी में मास्टर ऑफ कॉमर्स की द्वितीय वर्ष की छात्रा कीर्तना ने स्विमिंग पूल के बाहर यूनिवर्सिटी को पहला गोल्ड मेडल दिलाया और साबित किया कि वह सर्किट की सबसे रोमांचक युवा स्प्रिंटर्स में से एक हैं।

ट्रैक पर इस शानदार फिनिश के पीछे वर्षों का संघर्ष है। कीर्तिना नौ साल की थीं, जब उन्होंने पिता को अचानक कार्डियक अरेस्ट के कारण खो दिया। वह तीसरी कक्षा में पढ़ती थीं। पिता की मौत ने पूरे परिवार की दुनिया बदल दी। आर्थिक और भावनात्मक दोनों मोर्चों पर परिवार को भारी झटका लगा। इसके बाद कुछ साल ही बीते थे कि कीर्तिना को एक और बड़ा सदमा झेलना पड़ा। एक हादसे में उनके कोच का भी निधन हो गया। खेल की दुनिया में जहां मार्गदर्शन सबसे जरूरी होता है, वहां अचानक सहारा छूट जाना किसी भी खिलाड़ी के लिए करियर तोड़ देने जैसा होता है।

400 से 100 मीटर तक का सफर

शुरुआत में कीर्तिना 400 मीटर की धाविका थीं, लेकिन एक गंभीर ग्रोइन इंजरी (जांघ की मांसपेशियों की चोट) ने उनके करियर को लगभग पटरी से उतार दिया। महीनों तक ट्रैक से दूर रहना पड़ा। ऐसा लगा कि शायद यह सफर यहीं थम जाएगा। तभी उनके जीवन में उनके बड़े भाई सबसे मजबूत सहारा बनकर आए। वह पेशे से प्राइवेट पीटी टीचर हैं और परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य।

भाई ने ही कीर्तिना की ट्रेनिंग की पूरी जिम्मेदारी अपने हाथ में ली। साल 2021 में एक बड़ा और साहसिक फैसला लिया गया। उन्हें 400 मीटर से हटाकर 100 मीटर स्प्रिंट में उतारा गया, ताकि उनकी प्राकृतिक रफ्तार का बेहतर इस्तेमाल हो सके और शरीर पर कम दबाव पड़े। यह फैसला उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

चुपचाप बढ़ा सफर

कोई बड़ा कोचिंग सेंटर नहीं, कोई हाई-एंड सुविधाएं नहीं। ऐसे में कीर्तिना और उनके भाई ने निजी तौर पर ही ट्रेनिंग शुरू की। सीमित संसाधन थे, लेकिन इरादे असीम। धीरे-धीरे कीर्तिना की रफ्तार और आत्मविश्वास दोनों बढ़ने लगे। उन्होंने अगले दो वर्षों में 100 मीटर में खुद को स्थापित करना शुरू कर दिया।

साल 2022 में उन्हें पहला बड़ा ब्रेक तब मिला, जब बेंगलुरु में हुए विश्वविद्यालय खेलों में वह 4×400 मीटर रिले टीम के साथ रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा बनीं। उसी साल उन्होंने ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी गेम्स में रिले में स्वर्ण भी जीता। साल 2023 में चेन्नई में हुए इंटर-यूनिवर्सिटी गेम्स में उन्हें रिले में रजत पदक मिला।

स्वर्ण जीतने का सपना

मार्च 2023 में अंडर-23 राज्य प्रतियोगिता में कीर्तिना ने 11.86 सेकेंड का पर्सनल बेस्ट टाइम निकाला। जयपुर आने से पहले उनका लक्ष्य इस टाइम को और बेहतर करना और व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतना था। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में उन्होंने अपने इस सपने को साकार किया। फाइनल रेस में 11.94 सेकेंड का समय लेकर वह भले ही अपना पर्सनल बेस्ट नहीं तोड़ पाईं, लेकिन स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपनी अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत उपलब्धि हासिल की।

एक और पदक की तैयारी

22 साल की कीर्तना ने कहा, ‘मैं अपना पर्सनल बेस्ट बेहतर करना चाहती थी, लेकिन बदकिस्मती से नहीं कर सकी। फिर भी, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में जीत खास है क्योंकि यह मेरा पहला इंडिविजुअल गोल्ड है। उनकी मुस्कान में गर्व और 11.86 सेकंड के पर्सनल बेस्ट से चूकने की निराशा दोनों दिख रही थी।

2017 स्कूल गेम्स की मेडलिस्ट कीर्तना समझती हैं कि उनके करियर का यह चैप्टर अभी शुरू हो रहा है। जयपुर में उनका काम अभी खत्म नहीं हुआ है। वह खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में ट्रैक एंड फील्ड प्रतियोगिता के अंतिम दिन महिलाओं की 4×400 मीटर रिले के लिए ट्रैक पर लौटेंगी। उनका मकसद अपनी बढ़ती लिस्ट में एक और मेडल जोड़ना है। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा, ‘हमने रिले के लिए अच्छी तैयारी की है। हम एक और गोल्ड जीतने का इंतजार कर रहे हैं।’