कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) के आगामी चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए भारत के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद चुनाव लड़ने वाले हैं। भारत के दिग्गज खिलाड़ी अनिल कुंबले और जवागल श्रीनाथ अपने पूर्व साथी का समर्थन किया है। ‘टीम गेम चेंजर्स’ के प्रमुख वेंकटेश प्रसाद ने अन्य पदों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की। प्रसाद की टीम में सचिव पद के लिए पूर्व केएससीए कोषाध्यक्ष विनय मृत्युंजय, उपाध्यक्ष पद के लिए पूर्व क्रिकेटर सुजीत सोमसुंदर, कोषाध्यक्ष पद के लिए बीएन मधुकर और संयुक्त सचिव पद के लिए एवी शशिधर चुनाव लड़ेंगे।
कुंबले ने इस दौरान 4 जून को कलंक बताया। इस दिन पहली बार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के खिताब जीतने के बाद जश्न के दौरान भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी। केएससीए के चुनाव 30 नवंबर को होंगे और उम्मीदवार 12 से 16 नवंबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। प्रसाद 2010 से 2013 के बीच कुंबले के नेतृत्व वाली केएससीए के कार्यकाल में उपाध्यक्ष रह चुके हैं। श्रीनाथ सचिव थे।
‘टीम बृजेश’ से टक्कर
वेंकटेश प्रसाद की टीम का मुकाबला पूर्व क्रिकेटर और प्रशासक बृजेश पटेल समर्थित ‘टीम बृजेश’ से होगा। डेक्कन हेराल्ड के प्रकाशक, द प्रिंटर्स मैसूर लिमिटेड के निदेशक केएन शनत कुमार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे। केएससीए के पूर्व कोषाध्यक्ष जयराम ईएस सचिव पद के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे, जबकि डी विनोद शिवप्पा (उपाध्यक्ष), एम.एस. विनय (कोषाध्यक्ष) और पूर्व अंपायर बीके रवि (संयुक्त सचिव) बृजेश समर्थित समूह से पदाधिकारी पदों पर नजर गड़ाए हुए हैं।
कर्नाटक क्रिकेट मुश्किल में
कुंबले ने वेंकटेश प्रसाद के समर्थन में कहा, “हमें लगा कि कर्नाटक क्रिकेट मुश्किल में है और हम यहां इसलिए हैं क्योंकि हम बदलाव लाना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि उन तीन सालों (2010-2013) में जो कुछ भी हुआ, उसे भुला दिया गया है। सबसे जरूरी बात यह है कि किसी महत्वाकांक्षी लड़के या लड़की को कितना महत्व दिया जाए, जो खेलने का सपना देखता है। दूसरा हितधारक जिसकी उपेक्षा की गई है, वह हैं प्रशंसक। क्रिकेट प्रशंसकों की वजह से इतना लोकप्रिय है और हमारे लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम एक मंदिर जैसा है।”
4 जून कलंक था
कुंबले ने कहा, “4 जून हम सभी के लिए एक कलंक था। हम निश्चित रूप से बहुत आहत और दुखी हैं और हम उन परिवारों के साथ हैं, जिन्होंने अपनी जान गंवाई। इसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन मुझे लगता है कि कर्नाटक क्रिकेट के गौरव को हासिल करने की कोशिश जरूर हो सकती है। रणजी ट्रॉफी में मुंबई के बाद कर्नाटक दूसरे स्थान पर है। वह प्रतिष्ठा पिछले कुछ वर्षों में धूमिल हुई है। प्रतिनिधित्व के मामले में भी, कुछ ऐसी ही कहानी है।”
