न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान केन विलियमसन ने टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को लेकर बड़ी चिंता जताई है। उनका कहना है कि यदि यह पारंपरिक फॉर्मेट केवल भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड (बिग थ्री) तक सीमित रह गया तो इसका अस्तित्व बचाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। केन विलियमसन ने 2021 में न्यूजीलैंड को पहला विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) खिताब दिलाया था।

केन विलियमसन ने मंगलवार 7 अक्टूबर को मुंबई में एक क्रिकेट पुरस्कार समारोह में कहा, अगर सिर्फ तीन टीमें ही टेस्ट क्रिकेट खेलेंगी तो यह फॉर्मेट लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाएगा। भले ही इन देशों के बीच मुकाबले रोमांचक होते हैं, लेकिन यह टेस्ट क्रिकेट की असली बढ़ोतरी में मदद नहीं करते। कई देशों में हालात चुनौतीपूर्ण हैं और वहीं इस फॉर्मेट को जिंदा रखने की जद्दोजहद भी चल रही है।

दो-स्तरीय टेस्ट प्रणाली पर सवाल

हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि आईसीसी भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के साथ मिलकर एक दो-स्तरीय टेस्ट सिस्टम (Two-Tier System) पर काम कर रहा है, जिससे इन टीमों के बीच ज्यादा सीरीज आयोजित हो पाएं, लेकिन केन विलियमसन का मानना है कि यह समाधान अधूरा है।

उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि अगर टीमें निचले स्तर पर डाल दी जाएं तो उनके पास सुधार करने और शीर्ष डिविजन तक पहुंचने का रास्ता कितना आसान होगा? टेस्ट क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर अतिरिक्त संसाधन लगाने होंगे। मैं इस फॉर्मेट का बड़ा प्रशंसक हूं और चाहता हूं कि यह और फले-फूले।’

ब्रायन लारा ने भी उठाए सवाल

वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा ने भी टेस्ट क्रिकेट के ‘टिकाऊपन’ को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बिग थ्री के बाहर टेस्ट क्रिकेट का भविष्य खतरे में है। ब्रायन लारा ने अहमदाबाद में हाल ही में खेले गए भारत बनाम वेस्टइंडीज टेस्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि मैच तीन दिन में खत्म हो गया और स्टेडियम में दर्शकों की कमी साफ दिखी। ब्रायन लारा इस समय भारत-दौरे पर आई वेस्टइंडीज टीम के साथ जुड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘जब आप एशेज में इंग्लैंड बनाम ऑस्ट्रेलिया या भारत के इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया दौरे देखते हैं तो लगता है क्रिकेट का इससे बड़ा दिन कोई नहीं हो सकता। लेकिन छोटे देशों में, जहां न तो बड़ी भीड़ आती है और न ही बड़े स्पॉन्सर मिलते हैं, वहां टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखना मुश्किल है। वेस्टइंडीज में भी रुचि लगातार घट रही है और यही सबसे बड़ी चुनौती है।’

केन विलियमसन और ब्रायन लारा दोनों का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए सिर्फ पारंपरिक मुकाबलों पर निर्भर रहना खतरनाक होगा। आईसीसी और सभी क्रिकेट बोर्डों को मिलकर ऐसा रास्ता निकालना होगा, जिससे छोटे देशों की भागीदारी बढ़े और दर्शकों की दिलचस्पी भी लौटे।