इंग्लैंड के स्टार गेंदबाज जोफ्रा आर्चर ने बुधवार यानी 22 जुलाई को खुलासा किया कि उन्हें मैनचेस्टर में वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच से प्रतिबंधित किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर नस्लवादी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। आर्चर साउथैम्प्टन से मैनचेस्टर की जाने के दौरान बीच में रुक गए थे। वे बर्मिंघम में अपने घर चले गए थे। ऐसा करते हुए उन्होंने बायो-सिक्योर नियम का उल्लंघन किया था। यह कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए बनाया गया है।
आर्चर को दूसरे टेस्ट से बाहर कर दिया गया था। बाद में उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली थी। इसके बाद फिर से उन्हें तीसरे टेस्ट के लिए टीम में शामिल कर लिया गया। उन्हें आइसोलेशन में रखा गया और कोविड-19 का टेस्ट किया गया। इसमें वे निगेटिव पाए गए थे। आर्चर ने कहा कि उनसे गलती हुई थी, लेकिन कोई जुर्म नहीं कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरा सप्ताह मुश्किलों से भरा रहा। आइसोलेशन में बिताए गए पांच दिनों ने मुझे सोचने के लिए काफी समय दिया। मैनचेस्टर में पांच दिनों तक होटल में बंद रहना कठिन था।’’
आर्चर ने कहा, ‘‘जब मैं आइसोलेशन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने कमरे से बाहर निकला तो हर तरफ सिर्फ कैमरे की आवाज सुनाई दे रही थी। इस तमाशे ने मुझे असहज कर दिया। मुझे पता है कि मैंने जो किया वह मेरी गलती थी और मुझे इसके परिणाम भुगतने पड़े हैं। मैंने कोई अपराध नहीं किया है और मैं खुद को फिर से महसूस करना शुरू करना चाहता हूं।’’ आर्चर ने इसके बाद खुलासा किया कि बेन स्टोक्स ने स्पॉटलाइट से निपटने के तरीके के बारे में सलाह दी थी।
आर्चर ने खुलासा किया कि उन्हें पिछले कुछ महीनों में नस्लभेदी टिप्पणियों का शिकार होना पड़ा है। इसके बारे में उन्हें इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड को बता दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों में मैंने कई सोशल मीडिया प्रोफाइल को अनफॉलो और म्यूट किया है। मैं उन सब चीजों में दोबारा नहीं जाना चाहता हूं। इंस्टाग्राम पर कई लोगों ने गलत टिप्पणी की है। यहां तक 12 साल के एक बच्चे ने ऑनलाइन ऐसा किया है। मैंने इसकी जानकारी ईसीबी को दे दी है।’’