जिम्बाब्वे दौरे के लिए भारतीय टीम में चुने गए आफ स्पिनर जयंत यादव ने कहा है कि वह अपने करियर में कभी ‘दूसरा’ नहीं करेंगे क्योंकि इसे थोड़ा कोहनी मोड़े बिना नहीं किया जा सकता है। अब तक 40 प्रथम श्रेणी मैचों में 110 विकेट लेने वाले 26 साल के जयंत ने कहा, ‘मैंने अपनी जिंदगी में कभी दूसरा नहीं फेंका और कभी ऐसा करुंगा भी नहीं। मेरा मानना है कि दूसरा कोहनी मोड़े बिना किया ही नहीं जा सकता है। मेरी स्टॉक गेंद आफ स्पिन है। यह मेरी ताकत है। मैं अपनी कैरम बॉल पर काम कर रहा हूं लेकिन ईमानदारी से कहूं तो अभी मैं उस स्तर पर नहीं पहुंचा हूं जहां मैं इसका आइपीएल या अंतरराष्ट्रीय मैचों में उपयोग कर सकता हूं।’

जयंत के लिए लाहली के तेज गेंदबाजों के अनुकूल बंसीलाल स्टेडियम में प्रथम श्रेणी मैच खेलना चुनौती रहा और उन्हें राज्य की टीम में जगह बनाने के लिए अमित मिश्र और यजुवेंद्र चहल के साथ मुकाबला करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इससे मैं अधिक मजबूत बना क्योंकि लाहली को तेज गेंदबाजों के लिए अनुकूल माना जाता है। इसके अलावा जब मिशी भाई (अमित मिश्र) टीम में हो तो निश्चित तौर पर वह पहली पसंद होते हैं। यदि हम दूसरा स्पिनर लेकर खेलते हैं तो मेरे और युजी (यजुवेंद्र चहल)के बीच मुकाबला होता है।’ असल में हरियाणा क्रिकेट संघ के प्रमुख और बीसीसीआइ कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी का फैसला जयंत के करियर में टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से पहली बार बात करने का इंतजार कर रहे जयंत ने कहा, ‘यह 2011 में गुजरात के खिलाफ सूरत में मेरे रणजी ट्राफी में पदार्पण की बात है। हम रेलीगेशन से बचने के लिए संघर्ष कर रहे थे। मिशी भाई और चहल को खेलना था लेकिन अनिरुद्ध सर ने कहा कि मुझे खेलना चाहिए। इस मैच से मुझे ब्रेक मिला और उन्हें (चौधरी) मेरी क्षमता पर विश्वास था। मैंने उस मैच में छह विकेट लिए और हम रेलीगेशन से बच गए।’ जयंत के करियर में दूसरा बड़ा मोड़ तब आया जब पिछले साल उन्हें भारत ए की टीम में चुना गया और उन्हें राहुल द्रविड़ से बात करने का मौका मिला। उन्होंने कहा, ‘पहले दो दिन तो मैं उनसे थोड़ा डरा हुआ था। मैं वास्तव में उनसे बात नहीं कर पाया था क्योंकि आप राहुल द्रविड़ जैसी शख्सियत के सामने खड़े थे। इसके बाद उनसे बातें हुईं। मैं उनके होमवर्क से हैरान था।’