सोचिए, एक ऐसी टीम जिसमें भारत के विराट कोहली और पाकिस्तान के बाबर आजम एक साथ बल्लेबाजी कर रहे हो, विपक्षी टीम पर एक छोर से जसप्रीत बुमराह अटैक करें और दूसरे छोर से पाकिस्तान के शाहीन अफरीदी। एक ऐसी टीम जिसमें भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी एक साथ नजर आएं। बीसीसीआई सचिव जय शाह के आईसीसी पहुंचने के बाद यह बात एक संभावना बन चुकी है।
फिर से हो सकता है एफ्रो एशिया कप का आयोजन
आप सोचेंगे कि जो टीमें एक-दूसरे के खिलाफ द्वपक्षीय सीरीज भी नहीं खेलती उसके खिलाड़ी भला एक साथ कैसे खेल सकते हैं। इसका जवाब है एफ्रो-एशिया कप। यह टूर्नामेंट 2000 के शुरुआती सालों में खेला जाता था।
इस टूर्नामेंट के लिए भारत और पाकिस्तान की टीमें एक साथ उतरती थी। बीते कई सालों से इसका आयोजन नहीं हुआ हालांकि जय शाह के आईसीसी में आने से यह टूर्नामेंट फिर से आयोजित किया जा सकता है। जय शाह हाल ही में आईसीसी के नए चेयरमैन चुने गए हैं। वह इस साल के आखिर में कार्यभार संभालेंगे। एसीसी के महिंद्रा वालीपुरम को आईसीसी बोर्ड में शामिल किया है।
2022 में शुरू हुई थी चर्चा
साल 2022 में इस टूर्नामेंट को फिर से आयोजित करने की बात की गई। अफ्रीकन क्रिकेट एसोसिएशन के सुमद दामोदर और एसीसी के महिंद्रा वालीपुरम ने 2023 में टी20 फॉर्मेट में इस टूर्नामेंट के आयोजन का प्लान किया। इसमें एसोसिएट नेशंस के कुछ खिलाड़ियों को मौका देनी की भी बात थी। हालांकि अफ्रीकन बोर्ड की आपसी कलह के कारण यह हो नहीं सका।
साउथ अफ्रीका क्रिकेट के दामोदर ने मौजूदा समय में इन मैचों को लेकर फॉर्ब्स से कहा, ‘यह मैच देशों के बीच राजनीतिक दीवार तोड़ सकते हैं। क्रिकेट दूरियां खत्म करने का काम कर सकता है। मुझे निजी तौर पर नहीं लगता कि खिलाड़ी एक-दूसरे से नफरत करते हैं। मुझे यकीन है कि वह इसके लिए तैयार होंगे।’
2005 में पहली बार आयोजित हुआ एफ्रो-एशिया कप
साल 2005 और 2007 में एफ्रो-एशिया कप का आयोजन हुआ था। एशियन इलेवन में पाकिस्तान के शोएब अख्तर, शाहिद अफरीदी और भारत के वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ एक ही टीम में खेलते नजर आएं। वहीं अफ्रीकन इलेवन में जिम्बाब्वे और केन्या के खिलाड़ी शामिल थे। हालांकि साल 2008 में मुंबई बम धमाकों के बाद यह टूर्नामेंट फिर कभी आयोजित नहीं हुआ।